संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने यह साफ संकेत दे दिया है कि अब संगठन और सरकार, दोनों पूरी तरह चुनावी रणनीति के अगले चरण में प्रवेश कर चुके हैं. पार्टी नेतृत्व ने पूर्वी और दक्षिणी भारत दो ऐसे क्षेत्रों, जहां बीजेपी को अब भी निर्णायक विस्तार की जरूरत है को एक साथ फोकस में लाने की रणनीति अपनाई है. इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी भारत के दौरे पर हैं, जबकि पार्टी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन को दक्षिण भारत की कमान सौंपी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पश्चिम बंगाल और असम दौरा केवल सरकारी कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है. पश्चिम बंगाल में 3200 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास विकास के नैरेटिव को मजबूत करता है, वहीं पीएम ने जनसभा के जरिए चुनावी संदेश भी दिया . मौसम ख़राब होने की वजह से पीएम का हेलीकॉप्टर सभा स्थल तक नहीं पहुंच पाया लेकिन पीएम ने ऑडियो के माध्यम से सभा को संबोधित किया . बीजेपी लंबे समय से बंगाल में ‘विकास बनाम तुष्टिकरण’ की राजनीति का फ्रेम गढ़ने की कोशिश करती रही है और यह दौरा उसी नैरेटिव को जमीन पर उतारने का प्रयास माना जा रहा है.
बंगाल के बाद पीएम मोदी ने असम में लोकप्रिय गोपीनाथ बरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल का उद्घाटन किया और असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, दोनों ही कदम बीजेपी के लिए स्थानीय अस्मिता और विकास को जोड़ने की राजनीतिक कवायद हैं. साथ ही असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया परियोजना का भूमि पूजन राज्य में
औद्योगिक पुनरुत्थान के संदेश को आगे बढ़ाता है. चूंकि पश्चिम बंगाल और असम दोनों में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए मोदी का यह दौरा सीधे तौर पर चुनावी माहौल बनाने वाला माना जा रहा है.
दूसरी ओर, बीजेपी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन का पुडुचेरी और चेन्नई दौरा पार्टी की दक्षिण भारत रणनीति का अहम हिस्सा है. बतौर कार्यकारी अध्यक्ष यह उनका पहला दौरा है और ऐसे में संगठनात्मक समीक्षा, कैडर से संवाद और चुनावी तैयारियों का आकलन उनकी प्राथमिकता होगी. नितिन नबीन को एक ऐसे नेता के तौर पर देखा जा रहा है, जो संगठन के फैसलों को तेजी से जमीन पर उतारने की भूमिका निभाएंगे.
चेन्नई और पुडुचेरी दोनों ही ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बीजेपी अब तक सीमित राजनीतिक प्रभाव रखती है. ऐसे में नितिन नबीन का दक्षिण दौरा यह बताता है कि पार्टी अब सिर्फ़ बड़े नेताओं के दौरों पर
निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि संगठनात्मक माइक्रो-मैनेजमेंट के जरिए दक्षिण में अपनी जगह मजबूत करने की कोशिश में है.
सूत्रों के अनुसार, दिसंबर के अंत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पश्चिम बंगाल और फिर तमिलनाडु दौरा प्रस्तावित है. यह साफ करता है कि बीजेपी ने पूर्व और दक्षिण भारत के चुनावी राज्यों के लिए त्रि-स्तरीय रणनीति अपनाई है मोदी विकास और नेतृत्व का चेहरा, शाह चुनावी प्रबंधन और रणनीति के सूत्रधार, और नितिन नबीन संगठनात्मक मशीनरी को धार देने की भूमिका में.
कुल मिलाकर, संसद सत्र की समाप्ति के साथ ही बीजेपी ने यह संदेश दे दिया है कि पार्टी अब चुनावों को अलग-अलग राज्यों की लड़ाई नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विस्तार परियोजना के रूप में देख रही है. आने वाले महीनों में पूर्व और दक्षिण भारत में बीजेपी नेतृत्व की बढ़ती मौजूदगी इस बात का संकेत है कि 2026 की विधानसभा चुनावी जंग की असली तैयारी अब शुरू हो चुकी है.









