वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महाश्मशान कणिकर्णिका घाट पर शवों का दाह संस्कार रुक गया है। इसकी जानकारी होते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। डोम राजा परिवार (Dom Raja family) को मनाने की कोशिश की जा रही है। वहीं डोम राजा परिवार का आरोप है कि कुछ लोगों द्वारा आए दिन रास्ते में लकड़ियां डालकर रास्ते को रोक दिया जाता है। इसलिए उन्हें अब स्थाई समाधान चाहिए।
लकड़ियां डालकर रास्ता रोकने का आरोप
घटना सोमवार सुबह की है। डोम राजा परिवार के बहादुर चौधरी ने बताया कि एक व्यक्ति द्वारा लकड़ियां डालकर रास्ता रोक दिया गया है। इसके कारण दाह संस्कार कार्य प्रभावित हो रहा है। उनका आरोप है कि आए दिन इसी तरीके से अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। इसका कई बार विरोध भी किया गया, लेकिन इसका कोई असर नहीं है। इसलिए डोम राजा परिवार के लोगों ने शवों का दाहसंस्कार रोक दिया है।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे
वहीं मामले की जानकारी होने पर स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। थाना चौक प्रभारी शिवाकांत मिश्र ने डोम राजा परिवार के लोगों को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। उनकी जिद है कि जिलाधिकारी मौके पर आएं और इस समस्या का स्थाई समाधान करें। इसके साथ ही हरिश्चचंद्र घाट पर भी दाह संस्कार रोक दिए गए हैं। सोमवार सुबह 11 बजे से चला यह घटनाक्रम देर शाम तक जारी रहा।
आखिर कौन हैं डोम राजा
प्रचलित कथाओं के मुताबिक कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव और पार्वती काफी पहुंचे थे। यहां माता पार्वती के कुंडल खो गया था। कालू नाम के व्यक्ति को वह कुंडल मिल गया। कहा जाता है कि उसने उसे छिपा लिया था। काफी तलाश के बाद भी कुंडल न मिलने पर भगवान शिव ने कांड रखने वाले को नष्ट होने का श्राप दे डाला। इसके बाद कालू भगवान शिव के सामने आकर क्षमा मांगने लगा।
डोम में आती है ओम की ध्वनि
इसके बाद भगवान शिव ने कालू को झमा करते हुए श्मशान का राजा बना दिया। कहां कि आज से लोगों की मुक्ति के लिए काम करोगे। तभी से कालू के वंशजों को डोम कहा जाता है। डोम में ओम की ध्वनि सुनाई देती है। बहादुर चौधरी भी डोर राजा परिवार के सदस्य कहे जाते हैं। रिपोर्ट्स और कथाओं के अनुसार कैलाश चौधरी अंतिम घोषित डोम राजा कहे जाते हैं।
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