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बिना ऑफिस आए 6 महीने तक सेलरी लेती रही डिप्टी CMO, मामला सामने आती ही डिप्टी CM ने किया निलंबित

Lucknow News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (UP Deputy CM Brijesh Pathak) ने अमरोहा (Amroha) जिले की डिप्टी सीएमओ (Deputy CMO) को निलंबित (suspended) करने का आदेश जारी किया है। आरोप है कि छह माह तक बिना ऑफिस आए उन्होंने विभाग से सेलरी ली। इतना है कि नहीं उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Sep 30, 2022 23:01
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (UP Deputy CM Brijesh Pathak) ने अमरोहा (Amroha) जिले की डिप्टी सीएमओ (Deputy CMO) को निलंबित (suspended) करने का आदेश जारी किया है। आरोप है कि छह माह तक बिना ऑफिस आए उन्होंने विभाग से सेलरी ली। इतना है कि नहीं उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर में भी फर्जी हस्ताक्षर किए। डिप्टी सीएम की ओर से की गई कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

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रजिस्टर में कराए फर्जी हस्ताक्षर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अमरोहा जिले में तैनात एक डिप्टी सीएमओ डॉ. इंदु बाला शर्मा (Dr. Indu Bala Sharma) को निलंबित किया है। आरोप है कि वह पिछले छह महीने से बिना कार्यालय आए अपना वेतन लेती रहीं। आरोप यह भी है कि डॉ. इंदु बाला शर्मा ने उपस्थिति रजिस्टर पर फर्जी हस्ताक्षर करवाकर वेतन लिया।

तत्कालीन CMO और सेलरी देने वाले पर भी कार्रवाई

वहीं लखनऊ से हुई कार्रवाई के अनुसार तत्कालीन सीएमओ संजय अग्रवाल और वेतन जारी करने वाले प्रभारी संतोष कुमार के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। डिप्टी सीएम कार्यालय के मुताबिक इस मामले में शामिल सभी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए भी कहा गया है।

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पहले भी होते रहे हैं स्वास्थ्य विभाग में खेल

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल यूपी के आगरा जिले में एक महिला डॉक्टर की तैनाती आगरा देहात क्षेत्र की एक सीएचसी पर थी। आरोप लगा था कि महिला डॉक्टर कई महीनों तक अस्पताल में दिखाई नहीं देती थीं। महिला डॉक्टर का पति और परिवार के कई लोग निजी डॉक्टर हैं, इसलिए सरकारी डॉक्टर होते हुए वह प्राइवेट क्लीनिक चला रही थीं।

शिक्षा विभाग में भी सामने आए थे कई मामले

शिक्षा विभाग में भी कई बार इसी तरह के मामले देखे गए हैं। पूर्व में ऐसे मामले सामने आए हैं कि सरकारी शिक्षक देहात के विद्यालयों में अपनी तैनाती कराते थे। ब्लॉक स्तर पर पैसे देकर सेटिंग कर लेते थे। इसके बाद महीनों तक स्कूलों के दर्शन भी नहीं करते थे और नियमित तौर पर अपनी सेलरी उठाते रहते थे। कई बार तो सरकारी शिक्षक होते भी दूसरी प्राइवेट नौकरी भी करते थे।

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Written By

Naresh Chaudhary

First published on: Sep 30, 2022 05:49 PM

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