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Uttarakhand UCC: अब इन 74 रिश्तों में नहीं होगा निकाह, लिव इन में रहने के लिए देने होंगे ये दस्तावेज

UCC: उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम में ऐसे 74 रिश्तों का उल्लेख है, जिनमें से 37 पुरुषों और 37 महिलाओं के हैं, जिनके साथ वे विवाह नहीं कर सकते या लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 3, 2025 22:02
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Uniform Civil Code (UCC) in Uttarakhand
सांकेतिक तस्वीर।

Uttarakhand UCC Act: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद किसी से भी निकाह कर लेना आसान नहीं होगा। यूसीसी अधिनियम में 74 ऐसे रिश्तों का उल्लेख किया गया है जिनके साथ न निकाह हो सकता है और न ही उनके साथ लिव इन रिलेशन में रहा जा सकता है। पुरुषों के लिए लिव इन रिलेशनशिप के लिए जिन रिश्तों को लेकर मना किया गया है, उसमें मां के रिश्ते शामिल हैं। वहीं, महिलाओं को पिता के तरफ से संबंधित लड़के के साथ लिव इन में रहने की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर ऐसा करते हैं तो इस बारे में मौलानाओं या पुजारियों को बताना होगा। साथ ही मैरिज रजिस्ट्रार को भी सूचना देनी होगी ताकि वह तय कर सकें कि रिश्ता सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ है या नहीं। अगर रिश्ता नियमों के विरुद्ध पाया जाता है तो रजिस्ट्रेशन कैंसिल होगा।

37 तरह के रिलेशनशिप को लेकर मनाही

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद लिव इन रिलेशनशिप को लेकर नई जानकारी सामने आई है। इस नए नियम के तहत सरकार ने पुरुष और महिलाओं के लिए 37 तरह के रिलेशनशिप को लेकर मनाही की है। इनमें ब्लड रिलेशन, ज्वाइंट फैमिली और तीन पीढ़ियों का कनेक्शन शामिल है। यानी कि ब्लड रिलेशन वाले लोग, परिवार के लोग और तीन पीढ़ियों के कनेक्शन वाले लोग आपस में लिव इन में नहीं रह सकते।

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उम्र में ज्यादा अंतर होने पर भी लिवइन में नहीं रह सकते

इसके अलावा उम्र में ज्यादा अंतर होने पर भी कपल लिव इन में नहीं रह पाएंगे। पुरुषों के लिए लिव इन रिलेशनशिप के लिए जिन रिश्तों को लेकर मना किया गया है, उसमें मां के रिश्ते शामिल हैं। वहीं महिलाओं को पिता के तरफ से संबंधित लड़के के साथ लिव इन में रहने की अनुमति नहीं मिलेगी।

तीन पीढ़ियों के रिश्तों पर प्रतिबंध

तीन पीढ़ियों के रिश्तों को प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल किया गया है। वहीं, इस मामले में यूसीसी नियम समिति के सदस्य मनु गौड़ का कहना है, “वर्तमान समय में, शादी की औसत उम्र बढ़ गई है, लेकिन अतीत में शादियां बहुत कम उम्र में होती थीं। इसलिए, हमने उन्हें ऐसे किसी भी मामले को कवर करने के लिए शामिल किया है,जो आज भी मौजूद हो सकता है।”अधिनियम के अनुसार, इन श्रेणियों के भीतर शादी करने या लिव इन रिलेशनशिप में रहने के इच्छुक व्यक्तियों को अपने धार्मिक गुरुओं से एक प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा, जो पुष्टि करेगा कि ऐसे रिश्तों को उनके रीति-रिवाजों के तहत अनुमति है।

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रजिस्ट्रार ऐसे आवेदनों को कर सकते अस्वीकार 

गौड़ ने कहा कि धार्मिक प्रमाण पत्र के साथ भी, रजिस्ट्रार ऐसे आवेदनों को अस्वीकार कर सकते हैं यदि वे सार्वजनिक नीति और नैतिकता का उल्लंघन करते हैं। यूसीसी नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रजिस्ट्रार ऐसे रिश्ते को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है जिसमें आवेदक ब्लड या फैमिली रिलेशन से संबंधित हो या उनकी शादी को उनके रीति-रिवाजों में अनुमति नहीं है, या भले ही अनुमति दी गई हो, लेकिन सार्वजनिक नीति और नैतिक मानकों के विपरीत है। उन्होंने कहा, इसके अलावा, आवेदक ऐसे निर्णयों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपील कर सकते हैं।

लिवइन में देने होंगे केवल ये दस्तावेज

यूसीसी के तहत लिव इन संबंध पंजीकरण के समय सिर्फ निवास, जन्म तिथि, आधार और किराए के घर में रहने वाले लोगों के मामले में किरायेदारी से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जिन लोगों का पहले तलाक हो चुका है उन्हें विवाह खत्म होने का कानूनी आदेश जमा करना होगा। साथ ही जिनके जीवन साथी की मृत्यु हो चुकी है, या जिनका पूर्व में लिव इन रिलेशनशिप समाप्त हो चुका है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे।

UCC एक्ट में क्या है लिव इन का अर्थ?

बता दें कि उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप को एक ऐसे संबंध के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें एक पुरुष और एक महिला एक साझा घर में रहते हैं, जो विवाह के समान होता है। इस संबंध को कानूनी मान्यता देने के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। जैसे, लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है और इसे एक महीने के भीतर करना होगा। इसके लिए लोगों को 16 पन्नों का फॉर्म भरना होगा।

कब से लागू है UCC

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में यूसीसी 27 जनवरी 2025 से लागू हुआ है। उत्तराखंड सरकार ने 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इसके बाद राज्य के अंदर और बाहर रह रहे 60,000 से ज्यादा लोगों के साथ 70 अलग-अलग मंचों पर विस्तार से चर्चा की। बाद में 700 पन्नों से ज्यादा की एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे 2 फरवरी 2024 को उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया गया।

किन रिश्तों में नहीं हो सकता निकाह

UCC के अंतर्गत किन रिश्तों में निकाह को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है, इसे आप नीचे दी गई सूची से समझ सकते हैं।

 

कोई भी पुरुष इन महिलाओं से विवाह नहीं कर सकेगा कोई भी महिला इन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेगी
बहन भाई
भांजी भांजा
भतीजी भतीजा
मौसी चाचा/ताऊ
चचेरी बहन फुफेरा भाई
फुफेरी बहन मौसेरा भाई
मौसेरी बहन ममेरा भाई
ममेरी बहन नातिन का दामाद
मां पिता
सौतेली मां सौतेला पिता
नानी दादा
सौतेली नानी सौतेला दादा
परनानी परदादा
सौतेली परनानी सौतेला परदादा
माता की दादी परनाना (पिता का नाना)
माता की दादी सौतेला परनाना
दादी नाना
सौतेली दादी सौतेला नाना
पिता की नानी परनाना
पिता की सौतेली नानी सौतेला परनाना (माता का सौतेला परनाना)
पिता की परनानी माता के दादा
पिता की सौतेली परनानी माता का सौतेला दादा
परदादी बेटा
सौतेली परदादी दामाद
बेटी पोता
बहू (विधवा) बेटे का दामाद
नातिन नाती
पोती बेटी का दामाद
पोते की विधवा बहू परपोता
परनातिन पोते का दामाद
परनाती की विधवा बेटे का नाती
बेटी के पोते की विधवा पोती का दामाद
बेटे की नातिन बेटी का पोता
परपोती नाती का दामाद
परपोते की विधवा नातिन का बेटा
नाती की विधवा माता का नाना

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Edited By

News24 हिंदी

First published on: Feb 03, 2025 10:02 PM

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