Uttarakhand High Risk: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में पिछले दिनों हुए भू-धंसाव (Sinking) के बाद अब एक और नई समस्या सामने आ गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड के 13 जिले भू-धंसाव की खतरनाक स्थिति (Uttarakhand High Risk) में हैं, जबकि रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) और टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) में हालात जोखिम भरे हैं।
17 राज्यों और दो केंद्र शासित राज्यों पर किया अध्ययन
हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के वैज्ञानिकों की ओर से एक नवीनतम जोखिम मूल्यांकन किया गया है। सेंटर ने भारत के भूस्खलन एटलस के हिस्से के रूप में एक सूची जारी की है। टीम ने देश के 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 147 सबसे अधिक भूस्खलन-संवेदनशील जिले इसमें शामिल किए हैं, जिनमें उत्तराखंड के सभी 13 जिले भी है।
रुद्रप्रयाग और टिहरी हाईरिस्क में पहले-दूसरे स्थान पर
पीटीआई की एक रिपोर्ट में आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि रुद्रप्रयाग और टिहरी जिला सूची में पहले और दूसरे स्थान पर हैं। जबकि हरिद्वार 146वें और उधम सिंह नगर 147वें स्थान पर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-धंसाव के संकट से जूझ रहा जोशीमठ 19वें स्थान पर है। वहीं उत्तरकाशी को 21वें, पौड़ी को 23वें, देहरादून को 29वें, बागेश्वर को 50वें, चंपावत को 65वें, नैनीताल को 68वें, अल्मोड़ा को 81वें और पिथौरागढ़ को 86वें स्थान पर रखा गया है।
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केरल के चार जिले भी अति संवेदनशीन
एनआरएससी के अनुसार उत्तराखंड के अलावा 10 सबसे अधिक भूस्खलन वाले जिलों में चार केरल, दो जम्मू-कश्मीर और दो सिक्किम से हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिशूर (केरल), पलक्कड़ (केरल), मलप्पुरम (केरल), कोझिकोड (केरल), पुंछ (जम्मू और कश्मीर), राजौरी (जम्मू और कश्मीर), सिक्किम के दक्षिण और पूर्वी जिले 10 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हैं।
वर्ष 1998 से 2022 तक का रिकॉर्ड जारी
भारत के भूस्खलन एटलस में एनआरएससी ने कहा कि यह पहली बार है जब एनआरएससी के वैज्ञानिकों ने 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में वर्ष 1998 से 2022 के बीच रिकॉर्ड किए गए 80,000 भूस्खलन के आधार पर एक जोखिम मूल्यांकन आंकड़ा तैयार किया है।
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अध्ययन के लिए इसरो के उपग्रह डेटा का इस्तेमाल
एटलस ने वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा और 2011 में सिक्किम भूकंप के कारण हुए भूस्खलन जैसे सभी मौसमी और घटना-आधारित भूस्खलनों को मैप करने के लिए इसरो के उपग्रह डेटा का उपयोग किया।
नए अध्ययन में वर्ष 2000 और 2017 के बीच मिजोरम में अधिकतम 12,385, उत्तराखंड में 11,219, जम्मू और कश्मीर में 7,280 और हिमाचल प्रदेश में 1,561 भूस्खलन दर्ज किए गए। दक्षिणी राज्यों में सबसे अधिक भूस्खलन केरल (6,039) में दर्ज हुए हैं।