Magh Mela 2023: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम के किनारे माघ मेला 2023 (Pryagraj Magh Mela 2023) का आयोजन किया जा रहा है। यह एक ऐसा मेला है जिसके लिए सरकार की ओर से पूरा इंतजाम किया जाता है। भारत के हर हिस्से से श्रद्धालु और साधु-साध्वियां (Female Naga Sadhus) यहां पहुंचते हैं।
इतना ही नहीं मेले के दौरान विदेशों से भी भारी संख्या में लोग यहां आकर भक्ति के रंग में रंग जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि माघ मेले में नागा साधुओं का विशेष महत्व होता है। इस दौरान विषेश आकर्षक का केंद्र होती हैं महिला नागा साधु।
काफी रहस्यमयी होती है नागाओं की दुनिया
नागा साधु समाज खुद में एक रहस्यमयी दुनिया है। ऐसे में कई सवाल लोगों के जहन में आते हैं। पुरुष नागा साधु तो पूरी तरह से निर्वस्त्र रहते हैं, तो क्या महिला नागा साधु भी निर्वस्त्र रहती हैं। इस बात को लेकर कई बार लोगों द्वारा जानने की उत्सुकता जाहिर की जाती है।
इस बारे में जानने से पहले जानते हैं कि नागा साधु बनने की क्या प्रक्रिया है और इनका क्या महत्व है। पुरुष और महिला नागा साधु बनने के लिए बड़ा संयम, कठिन परिश्रम और तपस्या करनी होती है।
कठिन तपस्या और ब्रह्मचर्य का करते हैं पालन
बताया जाता है कि एक नागा साधु बनने के लिए कई वर्षों (करीब 15 वर्ष) तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। दिन का ज्यादातर समय ईश्वर की साधना में लगाना पड़ता है। यह सब कार्य किसी बड़े साधु के सानिध्य में होता है।
पुरुष नागा साधु या फिर महिला नागा साधु इस कठिन परिश्रम के बाद अपने गुरु को यकीन दिलाते हैं कि वह अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर चुके हैं। ईश्वर की भक्ति के अलावा उनके लिए कुछ और नहीं है। इसके अलावा एक नागा साधु (पुरुष या महिला) को जीते-जी अपना पिंड दान करना होता है।
ये है महिला साध्वियों की हकीकत
जानकारों का कहना है कि महिला नागा साध्वियों का समाज में बाड़ा सम्मान होता है। आम लोगों समेत साधु समाज के लोग इन्हें माता कहकर बुलाते हैं। नागा साधु दो प्रकार के होते हैं। एक वस्त्रधारी और दूसरे निर्वस्त्र। बात करें महिला नागा साधुओं की तो वह वस्त्रधारी साध्वियां होती हैं। पोशाक के तौर पर वह गेरुए रंग का वस्त्र पहनती हैं, जिसे गंती कहते हैं।
माघ मेले में इन राज्यों की होगी प्रस्तुति
माघ मेले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि यह आयोजन 27 जनवरी तक चलेगा। मेला क्षेत्र को दो सेक्टरों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों के कलाकार यहां मंच अपनी क्षेत्रीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे।
18 जनवरी से 9 दिनों तक यूपी, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश सहित उत्तर भारत के कलाकार रोजाना शाम 4 बजे से यहां अपनी लोक कला दिखाएंगे।