Greater Noida News: अमेरिका द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे टैरिफ के बीच यूपी इंटरनेशनल ट्रेड में भारत-रूस के व्यापार में तेजी आ गई है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत अन्य देशों के साथ मिलकर अमेकिर टैरिफ को पटखनी दे रहा है. भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी को उत्तर प्रदेश अब नए आयाम देने की तैयारी में है.
एक दूसरे का सहयोग करेंगे दोनों देश
भारत-रूस व्यापार संवाद में दोनों देशों के प्रमुख उद्योगपतियों, अधिकारियों और संस्थानों ने व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग को लेकर विस्तृत चर्चा की. यह चर्चा ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में हुई. इस संवाद में बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और रक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया. बैठक में भारत में रूस के उप व्यापार आयुक्त डॉ. एवगेनी जांचेंको और अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने अध्यक्षता की.
रूस में दिखी उत्तर प्रदेश की निवेश क्षमता
बैठक में रूसी प्रतिनिधियों ने भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश को निवेश के लिए एक रणनीतिक स्थल बताया. उन्होंने सेमीकंडक्टर, रक्षा उत्पादन, एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और उन्नत तकनीकों के क्षेत्रों में गहरी रुचि दिखाई.
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राज्य में निवेश की प्रक्रिया सरल
उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि राज्य में निवेश की प्रक्रिया अब सरल, पारदर्शी और उद्योग अनुकूल बन चुकी है. उन्होंने कहा कि इन्वेस्ट यूपी के माध्यम से 20 से अधिक क्षेत्रों में विशेष प्रोत्साहन नीतियां लागू की गई हैं. ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 के तहत निवेशकों को 30 फीसद पूंजी अनुदान, 100 फीसद बिजली छूट, भूमि आवंटन में प्राथमिकता और स्टांप शुल्क में छूट दी जा रही है.
भारत-रूस व्यापार 2.60 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य
भारत ने वर्ष 2025 तक रूस के साथ 2.60 लाख करोड़ रुपये के व्यापार लक्ष्य का संकल्प लिया है. राकेश सचान ने कहा कि यह लक्ष्य उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के माध्यम से ही साकार होगा, जहां 25 करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाला विशाल बाजार उपलब्ध है. उन्होंने रूस से आग्रह किया कि वह अपनी उन्नत तकनीकी क्षमताओं के माध्यम से उत्तर प्रदेश की औद्योगिक प्रगति में साझेदार बने.
आईटी, नेटवर्किंग में भारत की भूमिका अहम
पैरामाउंट कम्युनिकेशंस के प्रबंध निदेशक संदीप अग्रवाल ने बताया कि भारत खासकर आईटी और नेटवर्किंग के क्षेत्र में रूस की आवश्यकताओं को पूरा करने की ताकत रखता है. उन्होंने कहा कि रूस को वर्तमान में टेलीफोनी उपकरणों और 5G-6G नेटवर्क के विस्तार में सहयोग की आवश्यकता है, जिसे भारत पूरा कर सकता है. उन्होंने दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा, पनडुब्बी केबल्स, खदानों, ईंधन आपूर्ति की जरूरतों के बारे में बताया.
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