UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने शनिवार को एक और रिकॉर्ड आने नाम किया है। सीएम योगी शनिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। दावा किया गया है कि वह छह साल में 100वीं बार दर्शन करने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। योगी ने शुक्रवार को 113वीं बार वाराणसी का दौरा किया।
औसतन 21 दिन में काशी पहुंचे सीएम योगी
जानकारी के मुताबिक (UP News) वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद योगी औसतन हर 21 दिन में काशी विश्वनाथ मंदिर जाते रहे हैं। इस दौरान सीएम यहां विकास कार्यों की समीक्षा और जमीनी निरीक्षण करते हैं। एएनआई के हवाले से कहा गया है कि सीएम ने 2017 से मार्च 2022 तक 74 बार भगवान विशेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए दर्शन किए हैं।
9 सितंबर 2022 तक 100 बार काशी का दौरा
काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि सीएम योगी की यात्रा सनातन धर्म और बाबा विश्वनाथ के प्रति उनकी असीम भक्ति का पर्याप्त प्रमाण है। एएनआई ने आधिकारिक विज्ञप्ति के हवाले से बताया कि पिछले साल 9 सितंबर को जब मुख्यमंत्री ने 100वीं बार वाराणसी का दौरा किया, तब उनका विश्वनाथ धाम का 88वां दौरा किया। तब से लेकर 18 मार्च तक योगी 12 बार मंदिर पहुंचे।
काल भैरव के भी 100 बार दर्शन किए
इसके साथ ही योगी पिछले छह वर्षों में 100 बार काल भैरव मंदिर जाने वाले पहले सीएम भी बने हैं। काल भैरव को ‘काशी का कोतवाल’ कहा जाता है। मुख्यमंत्री ने शनिवार सुबह मंदिर में पूजा अर्चना के साथ आरती की। उन्होंने मंदिर के बाहर ‘डमरू’ बजाने वाले एक लड़के से भी बातचीत की और उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा।
क्या है बाबा काशी विश्वनाथ की महिमा?
स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से सांसारिक भयों से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव स्वयं निवास करते हैं। मान्यता है कि पाप नाशिनी गंगा के किनारे बसी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है। कहा जाता है कि भगवान को काशी इतनी प्रिय है कि उन्होंने इसे अपनी राजधानी बना रखा है।
यहां मिलता है मोक्ष
धर्म कथाओं और किवदंतियों की मानें तो काशी में मृत्यु होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष का अर्थ है कि मृत्यु के बाद आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसी कारण काशी पिछली कई शताब्दियों से हिंदुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान रहा है। यहां तक कहा जाता है कि दूसरे राज्यों में रहने वाले कई लोग अपनी अंतिम दिनों यहां आकर बस जाते हैं।
काशी के कोतवाल हैं भैरव काल
काशी में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भैरव भगवान शिव के गण (भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर आदि की तरह) हैं। हिंदू धर्म में भैरव का विशेष महत्व है। धर्म जानकारों का कहना है कि भैरव काशी के कोतवाल हैं, इसलिए बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले भैरव के दर्शन करने होते हैं। धार्मिक कहानियों के अनुसार भैरव के दो रूप है, एक काल भैरव और दूसरे बटुक भैरव।