Gyanvapi Survey 7th Day: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई की ओर से सर्वे प्रक्रिया जारी है। मंगलवार को सातवें दिन का सर्वे (Gyanvapi Survey 7th Day) कराया गया था। इस सर्वे के प्रक्रिया के बीच अब मुस्लिम पक्ष की ओर से जिला कोर्ट में एक आवेदन किया है, जिसमें सर्वेक्षण के मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
मुस्लिम पक्ष ने अपने आवेदन में कहा कि एएसआई सर्वेक्षण कोर्ट के आदेश के अनुसार चल रहा है और किसी भी अधिकारी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। लेकिन सोशल मीडिया, टेलीविजन और समाचार पत्रों पर सर्वेक्षण की लगातार मीडिया कवरेज हो रही है।
सर्वेक्षण की मीडिया कवरेज को ‘भ्रामक’ बताते हुए मुस्लिम वादियों ने कहा कि इससे लोगों की राय प्रभावित होगी। लिहाजा इसे रोका जाना चाहिए। सर्वेक्षण के छठे दिन, एएसआई टीम ने ज्ञानवापी परिसर के गुंबदों और तहखाने को मापा और उत्तरी दीवारों का भी सर्वेक्षण किया।
#WATCH | Uttar Pradesh | A team of ASI (Archaeological Survey of India) arrives at the Gyanvapi mosque complex in Varanasi on the sixth day of the survey. pic.twitter.com/2Qs2HWlFZL
---विज्ञापन---— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 9, 2023
फोटोग्राफी के साथ जुटाए जा रहे ये सबूत
बताया गया है कि एएसआई टीम 3डी इमेजिंग उपकरणों समेत मशीनों के साथ क्षेत्रों को माप रही है और मानचित्रण कर रही है। परिसर की फोटोग्राफी भी कर रही है। अधिवक्ताओं और वादी पक्ष को एएसआई सर्वेक्षण के बारे में चुप रहने का निर्देश दिया गया है।
सर्वे के दौरान मुस्लिम पक्ष के लोग भी मौजूद रहे। उन्होंने सर्वेक्षण के पहले दिन अभ्यास का बहिष्कार किया। एक सरकारी वकील ने न्यूज एजेंसी को बताया कि टीम ने खुद को तीन समूहों में बांटा है। परिसर की उत्तरी दीवार, गुंबद और बेसमेंट का सर्वेक्षण किया।
विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन हो रहा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक परिसर में विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य वकील ने कहा कि एएसआई टीम सबूत इकट्ठा कर रही है और परिसर के गुंबद और मंडप के अलावा, तहखानों का भी सर्वेक्षण किया गया है।
इससे पहले, एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर की दीवारों और स्तंभों पर उकेरे गए त्रिशूल, स्वस्तिक, घंटी और फूल जैसे प्रतीक की तस्वीरें और वीडियो लिए थे। एएसआई अधिकारियों ने प्रतीकों की निर्माण शैली को भी दर्ज किया।