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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

निठारी कांड के आरोपी रहे सुरेंद्र कोली की आज नहीं हुई नोएडा के जेल से रिहाई, जानें क्या रहा कारण

Greater Noida News: देश को झकझोर देने वाले 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. हालांकि रिहाई परवाना नहीं पहुंचने की वजह से मंगलवार को नोएडा की जिला जेल से उसकी रिहाई नहीं हो सकी है.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Nov 11, 2025 20:08

Greater Noida News: देश को झकझोर देने वाले 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. अदालत ने मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी करते हुए कहा कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए. हालांकि रिहाई परवाना नहीं पहुंचने की वजह से मंगलवार को नोएडा की जिला जेल से उसकी रिहाई नहीं हो सकी है. उम्मीद है कि कल यानी बुधवार को उसकी रिहाई होगी.

क्यूरेटिव पिटीशन पर आया निर्णय

शीर्ष अदालत ने यह निर्णय क्यूरेटिव पिटीशन (अंतिम कानूनी अपील) के आधार पर दिया. न्यायालय ने माना कि लंबी कानूनी प्रक्रिया और वर्षों की देरी के कारण कोली को अब और जेल में रखना न्यायसंगत नहीं है. यह फैसला उस समय आया है, जब कोली को निठारी कांड से जुड़े कई अन्य मामलों में पहले ही बरी किया जा चुका था.

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क्या था निठारी कांड ?

नवंबर 2006 में नोएडा के निठारी गांव में एक नाले से कई बच्चों के कंकाल और अवशेष बरामद हुए थे. जांच में खुलासा हुआ कि यह इलाका व्यापारी मोनिंदर सिंह पंधेर के बंगले के पास था और वहीं काम करने वाले सुरेंद्र कोली पर संदेह गहराया. पुलिस ने कोली को 15 वर्षीय लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया. बाद में जांच में सामने आया कि कई बच्चों और महिलाओं के गायब होने के पीछे भी उसी की भूमिका बताई गई. मामला इतना भयावह था कि पूरे देश में सनसनी फैल गई और यह केस भारत के सबसे डरावने अपराधों में से एक बन गया.

अदालतों में लंबा सफर

2006 से शुरू हुई यह कानूनी जंग करीब 19 साल तक चली. 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था. 2014 में पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई. हालांकि 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में अक्टूबर 2023 में हाईकोर्ट ने कोली और पंधेर दोनों को कई अन्य मामलों में बरी कर दिया. इसके खिलाफ सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे 30 जुलाई 2025 को खारिज कर दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब कोली को और जेल में रखना उचित नहीं है.

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बचाव पक्ष की दलील

सुरेंद्र कोली के वकील ने अदालत में कहा कि कोली पर जिन 13 मामलों में मौत की सजा दी गई थी, उनमें से 12 में वह पहले ही निर्दोष साबित हो चुका है. केवल एक मामला बचा था, जिसमें अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे निर्दोष पाया है. कोली को एक साजिश के तहत फंसाया गया था और सारे सबूत गढ़े गए थे.

ये भी पढ़ें: Noida News: नोएडा में कोर्ट ने थाना प्रभारी की सैलरी रोकी, जानें क्या है कारण ?

First published on: Nov 11, 2025 08:08 PM

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