केंद्रीय ब्राह्मण सभा की ओर से विरोध जताए जाने के बाद से साईं बाबा को लेकर शुरू हुआ विवाद गंभीर होता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर वाराणसी में दिख रहा है जहां के कम से कम 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटा दिया गया है। इसे लेकर पूरी काशी में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं तो कई लोग इसके विरोध में भी उतर आए हैं।
दरअसल, साईं बाबा की पूजा करने को प्रेत की पूजा करने के बराबर बताया जा रहा है। इसी वजह से इसे सनातन विरोधी कहा जा रहा है। यही कारण है कि वाराणसी में ब्राह्मण सभा के लोग साईं बाबा की मूर्तियां हटाने और उनकी पूजा करने पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि साईं बाबा के अनुयायियों की देश में बड़ी संख्या है और उनके भक्तों ने इसके विरोध में आवाज उठाई है।
वाराणसी-लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा को हटा दिया गया है। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के यूपी के अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि “गणेश मंदिर में साईं का क्या काम?” अब शहर के अन्य मंदिरों से भी साईं की मूर्तियाँ हटाने की चर्चा हो रही है। #saeebaba pic.twitter.com/uA7H4xyDz6
— INDINEWSLINE (@indinewsline) October 1, 2024
---विज्ञापन---
‘साईं बाबा की पूजा करना गलत’
इसकी शुरुआत रविवार को हुई थी जब सनातन रक्षक दल के सदस्यों ने बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाई थी। सोमवार को पुरुषोत्तम भगवान मंदिर में भी ऐसा हुआ। ऐसा कर रहे लोगों का कहना है कि सनातन में साईं बाबा की पूजा कोई प्रावधान नहीं है और न ही शास्त्रों में प्रमाण है। जानकारी न होने की वजह से लोग साईं बाबा की मूर्तियां मंदिरों में स्थापित कर रहे हैं जो कि गलत है।
हालांकि, साईं बाबा को लेकर हो रहा विरोध नया नहीं है। इससे पहले ज्योतिष व शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। तब भी इसे लेकर खूब बवाल मचा था। अब एक बार फिर काशी में यह मामला उठा है। लेकिन, इस बार यह मामला सियासी रूप लेता भी नजर आ रहा है। सपा के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने इसका विरोध किया है।