Noida News: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हवा की क्वालिटी तेजी से गिर रही है. हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेड) के पहले चरण की पाबंदियों को मंगलवार से लागू कर दिया. हालांकि जमीनी हालात इसके बिल्कुल विपरीत है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों की मानें तो नोएडा देश का सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा, जहां AQI 318 दर्ज किया गया. यह बहुत खराब श्रेणी में आता है. ग्रेटर नोएडा भी पीछे नहीं रहा, जहां एक्यूआई 263 रहा.
ग्रेप लागू, जमीनी हकीकत अलग
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली एनसीआर के अन्य इलाकों में नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है. खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल और बिना ढके मलबा ढोते ट्रक आम दृश्य बन चुके हैं. औद्योगिक क्षेत्रों जैसे तिलपता, सूरजपुर, मकौड़ा और साइट-सी में टूटी सड़कों से दिनभर धूल उड़ती रहती है.
80 प्रतिशत वाहन नियमों के विरुद्ध
प्रदूषण नियंत्रण मानकों के अनुसार निर्माण सामग्री व मलबा ढोने वाले वाहनों को हरे नेट से ढकना जरूरी है. लेकिन लगभग 80 प्रतिशत वाहन इन नियमों का उल्लंघन करते देखे गए. दिनभर खुले डंपर और ट्रक सड़कों पर मलबा, रेत और कंस्ट्रक्शन वेस्ट ढोते रहे जिससे धूल का गुबार पूरे क्षेत्र में फैला रहा.
नहीं है पूरी तैयारी
हालात पर नियंत्रण के दावों के बीच धरातल पर प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुबंधित वाहन चालक बिना किसी निगरानी के नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं. क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी विकास मिश्रा का कहना है कि पाबंदियों को सख्ती से लागू करने के प्रयास जारी हैं और सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय बैठकों का दौर चल रहा है.
क्या है ग्रेप का पहला चरण ?
ग्रेप के पहले चरण में खुले में कूड़ा या कचरा जलाने पर रोक है. निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय करने होंगे. सड़क की सफाई और पानी का छिड़काव होना जरूरी है.
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