Noida News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अक्सर आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। कई बार ये इतनी भयावह भी हो चुकी है कि जान-माल दोनों का नुकसान हुआ है। इसकी बड़ी वजह हाईराइज इमारतें हैं, जो इस एरिया में 300 से अधिक है। आमतौर पर कई फ्लैट वाली हाईराइज इमारतें आग के लिहाज से बहुत संवेदनशील हो जाती हैं। यहां एक फ्लैट में आग लगने की छोटी चूक भी बहुत भारी पड़ जाती है। क्योंकि ये आग अगर एक फ्लैट में लग गई और उसको काबू में नहीं लाया जा सका तो फिर ये ऊपर की ओर बहुत तेजी से फैलना शुरू कर देती है।
गर्मी में शुरू होती हैं घटनाएं
वैसे गर्मी आते ही दिल्ली और एनसीआर में आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगती हैं। आग का खतरा बहुमंजिला इमारतों में ज्यादा होने लगा है, जहां फ्लैट ऊपर नीचे या सटे हुए हैं। हाईराइज इमारतों में कई फ्लैट होने की वजह से उनमें लकड़ी, प्लास्टिक, ज्वलनशील केमिकल्स, पीवीसी पाइप्स, बिजली के सामानों आदि का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जाता है। फिर हर फ्लैट में तमाम ऐसी चीजें होती हैं जो तेजी से आग को पकड़ती हैं। आइए हम आपको बताते हैं किन वजहों से हाईराइज बिल्डिंग में आग लगती हैं और बड़े खतरे में बदल जाती हैं।
पूजा घर से
सीएफओ प्रदीप कुमार चौबे का कहना है कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट यानि नोएडा एक्सटेंशन में हाल में आग लगने की कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जो पूजा घर से लगी हैं। दीपक जलाकर बाहर चले जाने की वजह से ये बड़ी आग में तब्दील हो गईं। लिहाजा ये सुनिश्चित कर लें कि अगर घर को बंद करके बाहर निकलना है तो पूजाघर में दीपक या अगरबत्ती कतई नहीं जल रही हो। घर में रहते हुए भी अगर पूजाघर में दीपक या अगरबत्ती जला रहे हैं तो सावधान रहें, उसे ऐसी जगह रखें जहां रिस्क की गुंजाइश नहीं के बराबर रहे।
शार्ट सर्किट से
हाईराइज इमारतों और फ्लैट्स में आग लगने की दूसरी बड़ी वजह ये होती है। आमतौर पर बिजली की मेंटनेस में अगर लापरवाही बरती जा रही है तो ये इस आशंका को बढ़ा देती है। गर्मी में बिजली पर लोड बढ़ जाता है और ऐसे में कूलर, एसी लगातार चलाने पर शार्ट सर्किट होने का खतरा रहता है। अगर घर में बिजली के तार पुराने हो रहे हों तो कृपया इसे जरूर चेक कराएं।
ज्वलनशील वस्तुएं भी कारण
हाईराइज इमारतों के निर्माण में ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल खूब होने लगा है तो ज्वलन के तौर पर संवेदनशील होती हैं। जब गर्मी बढ़ती है और पारा बेतहाशा चढ़ने लगता है तो दीवार, कांच, रबर, प्लास्टिक की टंकियों और बाहर खुले में दौड़ रहे प्लास्टिक के वायर जी का जंजाल बन सकते हैं। ये भी एक बड़ी वजह आग लगने की होती है।
किचन की चिमनी से भी
सीएफओ प्रदीप कुमार चौबे का कहना है कि किचन की चिमनी यूं तो धुएं तो निकालने के लिए बनती है लेकिन अगर कभी उसमें ब्लाकेज आ गया है तो कई बार उससे भी आग लग जाती है। लिहाजा समय समय पर किचनी की चिमनी की भी जांच करा लें।
इलैक्ट्रानिक और सौंदर्य प्रशाधन के सामानों से
सीएफओ का कहना है कि आमतौर पर अब फ्लैट्स में बहुत ज्यादा जगह होती नहीं है और इलैक्ट्रॉनिक सामानों से लेकर सौंदर्य प्रसाधन के ऐसे सामान या केमिकल रहते हैं कि आग लगने की सूरत में वह ज्यादा विध्वंसक बन जाते हैं।
बिना देखभाल के खाना बनाना
सीएफओ का कहना है कि घरों में आग लगने का एक कारण है बिना देखभाल के खाना बनाना। कई बार गैस जली छोड़ देना या फिर स्टोव के आसपास कॉटन के कपड़े रख देने से भी आग लग जाती है। ऐसे में जरूरी है कि जब भी किचन में खाना बनाएं तो बेहद सावधानी बरतें। छोटे बच्चों को किचन या ज्वलनशील पदार्थों के आसपास न रखें।