Greater Noida News : चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें मेरठ की विशेष अदालत (भ्रष्टाचार निवारण द्वितीय) के आदेश पर तीन अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोप है कि जमीनी विवाद के एक प्रकरण में रिश्वत लेकर न्यायिक आदेशों में हेराफेरी की गई और बाद में दो लाख रुपये की मांग कर शिकायतकर्ता पर दबाव बनाया गया. मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है.
देवराज नागर ने दर्ज कराई शिकायत
गांव ढाकावाला दनकौर निवासी देवराज नागर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा है कि यह मामला वर्ष 2017-18 से गौतमबुद्धनगर के चकबंदी अधिकारी की अदालत में विचाराधीन था. इसमें विपक्षी पक्ष सविता देवी, स्नेहलता और सुरेश देवी द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी.
पूर्व के आदेश को किया निरस्त
10 नवंबर 2020 को तत्कालीन पीठासीन अधिकारी दिवाकर सिंह ने पूर्व में पारित एकतरफा आदेश को निरस्त कर मामला पुनः सुनवाई के लिए भेजा और उन पर 10,000 का हर्जाना लगाया. यह राशि देवराज नागर द्वारा 17 नवंबर 2020 को पेशकार शीशपाल के माध्यम से जमा कराई गई थी. लेकिन आरोप है कि इसके बीच 13 नवंबर को विपक्षी पक्ष से जुड़े व्यक्ति द्वारा एक पुनर्स्थापन (रेस्टोरेशन) आवेदन दाखिल किया गया, जिसे दिवाकर सिंह और पेशकार शीशपाल ने मिलकर स्वीकार कर लिया और पूर्व आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. यह जानकारी जानबूझकर दस्तावेजों से छिपाई गई और शिकायतकर्ता को अंधेरे में रखकर 10,000 की राशि सरकारी खाते में जमा कराई गई.
दाखिल किया था जवाब
देवराज नागर को पुनर्स्थापन की जानकारी मिलने पर उन्होंने 15 दिसंबर 2020 को अपना जवाब प्रस्तुत किया. इसके पश्चात 27 नवंबर 2024 को तत्कालीन पीठासीन अधिकारी भैरपाल सिंह और पेशकार दीपक द्वारा इस प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की गई. शिकायतकर्ता ने न्यायालय में सभी दस्तावेज, प्रमाण और लिखित बहस प्रस्तुत की है. मेरठ की विशेष अदालत के आदेश पर सूरजपुर कोतवाली पुलिस ने चकबंदी उपसंचालक भैरपाल सिंह, पूर्व उपसंचालक दिवाकर सिंह और पेशकार शीशपाल के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी गई है.