नोएडा में आरुषि तलवार और निठारी कांड दो चर्चित केस रहे हैं। इन दोनों ही केसों के आरोपी बरी हो गए हैं। सीबीआई को पहले आरुषि हत्याकांड में मुंह की खानी पड़ी थी। अब निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली के बरी होने से एक बार फिर सीबीआई सवालों के घेरे में घिर गई है। सुरेंद्र कोली के बरी होने पर कई सवाल उठ रहे हैं। पहला सवाल है कि सीबीआई ने दोनों ही केसों की बड़ी बारीकी से जांच करने का दावा किया था, लेकिन कोर्ट ने सब सबूतों को नकार दिया। दूसरा सवाल है कि आरुषि तलवार की हत्या किसने की थी और निठारी में बच्चियों को मारने वाला हत्यारा कौन था? ऐसे ही कई सवाल लोगों के दिमाग में घूम रहे हैं।
नोएडा का निठारी कांड का कौन है आरोपी?
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी गांव बसा है। इसी निठारी में 2006 में एक ऐसा कांड उजागर हुआ, जिसने लोगों को हिलाकर रख दिया। दरअसल यहां पर आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी है। इसी कोठी में उसका नौकर सुरेंद्र कोली भी रहता था। इसी घर के पास बहने वाले नाले में निठारी से लापता हुए कई बच्चों को कंकाल बरामद किए थे। बाद में जब पुलिस ने गहराई से जांच की तो कई ऐसे लोग भी सामने आए जिनके बच्चे इसी कोठी के पास से लापता हो गए थे। पड़ोसियों ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके सुरेंद्र कोली पर बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था।
हाई कोर्ट ने दोनों को कर दिया था बरी
इस मामले में सुरेंद्र कोली को 2010 में 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई आरोपों को साबित नहीं कर पाया। इसके बाद सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बुधवार यानी 30 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में हाई कोर्ट के फैसले को सही करार देते हुए सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया।
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आरुषि-हेमराज का किसने किया मर्डर?
इसी तरह नोएडा आरुषि तलवार-हेमराज हत्याकांड का भी आज तक खुलासा नहीं हो पाया है। इस केस को भी 17 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक यह केस अनसुलझा है। दरअसल नोएडा में मई 2008 में सेक्टर- स्थित जलवायु विहार में 15 और 16 मई को आरुषि तलवार और हेमराज का शव मिले थे। दोनों के आगे-पीछे शव मिले थे। पहले आरुषि का शव उसके घर में से बरामद किया गया और हेमराज का शव घर की छत पर पड़ा मिला। सीबीआई ने इस केस में आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को आरोपी बनाकर उन पर मुकदमा चलाया था।
2017 में हाई कोर्ट ने किया था बरी
2013 में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद ही सजा सुनाई थी। वहीं इसके बाद आरुषि के माता-पिता ने खुद को निर्दोष बताते हुए इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की गई। कोर्ट ने सीबीआई जांच में कई खामियों का हवाला देते हुए सबूतों के अभाव में 2017 में नूपुर और राजेश को इस हत्याकांड से बरी कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दम्पति को बरी कर दिया था। इसके साथ ही, यह रहस्य अभी भी बना हुआ है कि आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की थी?
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चश्मदीद गवाह नहीं होने से सीबीआई को लगा झटका
आरुषि तलवार-हेमराज हत्याकांड और निठारी के केस में सीबीआई को कोई चश्मदीद गवाह नहीं मिला। सीबीआई ने दोनों ही मामलों में अपने स्तर पर आरोपियों से पूछताछ की और अपनी विशेष अदालत में सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषी करार दे दिया। लेकिन जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो सीबीआई फेल साबित हुई।
सबूतों में थी कई खामियां
दरअसल कोर्ट ने दोनों ही मामलों में सीबीआई की जांच में सवाल उठाते हुए आरोपियों को केस से बरी किया है। कोर्ट ने साफ कहा कि सीबीआई ने जो सबूत कोर्ट में पेश किए थे, उनमें बहुत खामियां थी। सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपी किसी भी तरह आरोपियों पर सही साबित नहीं हो रहे थे। ऐसे में आरोपियों को सबूतों के अभाव बरी करने का फैसला लिया गया।