High Court Lucknow bench has written a letter to UP Bar Council: उत्तर प्रदेश के साथ देशभर में कई ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें वकीलों पर काले कोट के सहारे दबंगई और विभागीय अफसरों के आगे दबदबा बनाने जैसे आरोप लगाते हैं। लगातार ऐसे मामले सामने आने के बाद अब उत्तर प्रदेश में वकीलों की ओर से दिखाई जा रही ऐसी हरकतों पर लगाम लगने जा रहा है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कुछ वकीलों की ओर से विवादित जमीनों के मामलों में मौके पर यूनिफॉर्म में जाकर हस्तक्षेप करने व भू माफियाओं का सहयोग करने की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा आदेश दिया है।
कोर्ट परिसर के बाहर यूनिफार्म न पहनें अधिवक्ता
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी बार काउंसिल को आदेश देते हुए कहा है कि वह इस आशय का जल्द से जल्द दिशानिर्देश जारी करें कि अधिवक्ता कोर्ट परिसर के बाहर अपनी यूनिफार्म कतई न पहनें। बार काउंसिल की ओर से इस निर्देश के जारी होने के बाद परिसर के बाहर काला कोट पहनकर दबंगई करने वाले वकीलों की रोबदारी पर अंकुश लग सकता है।
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अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया आदेश
आपको बताते चलें कि हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने दिया है। न्यायमूर्ति की ओर से स्थानीय अधिवक्ता शुभांशु सिंह की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया गया। अपनी याचिका में याची का कहना था कि वह लखनऊ के सिविल कोर्ट लखनऊ में प्रैक्टिस करता है। बीते 21 सितंबर 2023 को सिविल कोर्ट के कुछ अधिवक्ताओं ने उसके साथ मारपीट व लूट की घटना को अंजाम दिया था, जिसके लेकर स्थानीय थाने में उसने एफआईआर भी दर्ज कराई थी। अपनी याचिका में पीड़ित अधिवक्ता ने घटना की विवेचना सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान वकीलों की हकीकत आई सामने
पीड़ित अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित ADCP से मामले की विवेचना की स्थिति तलब की है। इसके साथ ही हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जिले के न्यायाधीश से भी पूछा है कि उन्होंने याची के अनुरोध पर क्या कदम उठाया है। मामले में सुनवाई के दौरान ही कोर्ट के सामने वकीलों से जुड़ा यह सच भी सामने आया कि जमीन आदि से जुड़े मामलों पर अक्सर कुछ अधिवक्ता यूनिफार्म पहनकर मौके पर पहुंचते हैं और वकील होने का प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं। इस हकीकत के सामने आने के बाद कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को इस सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब ऐसे वकीलों की मनमानी पर रोक लगने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से पीड़ित अधिवक्ता के मामले की अगली सुनवाई 28 नवम्बर 2023 को नियत की है।