Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में मकानों, इमारतों और सड़कों में दरारें आने के पांच माह बाद एक बार फिर से सरकारी मशीनरी ने अपना काम शुरू कर दिया है। ताजा जानकारी के अनुसार, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों ने जोशीमठ के पास प्रमुख हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इस बाईपास पर भी काफी दरारें आई थीं।
जानकारी के मुताबिक, जोशीमठ में जमीन धंसाव और दरारों के आने के बाद बाईपास निर्माण और एनटीपीसी के पनबिजली संयंत्र का काम 5 जनवरी 2023 को बंद कर दिया गया था। जोशीमठ के स्थानीय लोगों का कहना था कि परियोजना के लिए ब्लास्टिंग और सुरंग बनाने के कारण ही जोशीमठ पर मुसीबत आई।
6.5 किमी का है ये बाईपास, बद्रीनाथ की दूरी 30 किमी हो जाएगी कम
अब घटना के करीब पांच माह बाद बीआरओ ने फिर से 6.5 किमी लंबे बाईपास को बनाने के लिए संसाधन जुटाने का काम शुरू कर दिया है। इस बाईपास से बद्रीनाथ की दूरी करीब 30 किमी कम हो जाएगी। बताया गया है कि अभी इस बाईपास के बंद होने के कारण यात्रियों को 30 किमी अतिरिक्त चलना पड़ रहा है।
बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने कहा कि हमें 29 मई को चमोली जिला प्रशासन से हेलंग बाईपास पर निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का आदेश मिला। एक बार तैयार हो जाने के बाद जोशीमठ से बद्रीनाथ और चीन सीमा तक जाने का मार्ग साफ हो जाएगा।
जोशीमठ बचाई संघर्ष समिति ने की ये मांग
उधर, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (जेबीएसएस) आईआईटी रुड़की, पीडब्ल्यूडी और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआईएल) की रिपोर्ट के आधार पर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास सड़क के साथ-साथ एनटीपीसी की ओर से धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को खत्म करने की मांग कर रही है।
आपदा प्रबंधन सचिव ने डीएम को लिखा पत्र
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने 10 मई को चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को लिखे एक पत्र में कहा है कि काम शुरू करने से पहले बीआरओ की ओर से आवश्यक जांच और सभी एहतियाती उपायों को लागू करते हुए राजमार्ग पर काम शुरू हो सकता है।