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Hathras Stampede: लाखों की भीड़ और पुलिसकर्मी सिर्फ 40! हाथरस की भयावह घटना के 5 अनसुलझे सवाल

Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को एक सत्संग का आयोजन हुआ था। इस दौरान वहां भगदड़ मच गई जिसमें कम से कम 121 लोगों की जान चली गई और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। अब धीरे-धीरे इस घटना से जुड़ी जानकारियां सामने आ रही हैं जो प्रशासन और आयोजकों पर सवाल उठा रही हैं।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jul 3, 2024 17:12
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Hathras Stampede: The spot where incident took place
Hathras Stampede: The spot where incident took place

Hathras Stampede News: हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या कम से कम 121 हो गई है। सवाल उठ रहा है कि इस भयावह हादसे के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई है। जब रिपोर्ट सामने आएगी तब साफ हो जाएगा कि असल में इस घटना के पीछे किसकी गलती थी। लेकिन, फिलहाल इस हादसे से जुड़े कुछ ऐसे बड़े सवाल हैं जिनके जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। बता दें कि इस सत्संग कार्यक्रम में ढाई लाख के आसपास लोग मौजूद थे जबकि परमिशन केवल 80 हजार लोगों के लिए ली गई थी। इस रिपोर्ट में जानिए हाथरस के हादसे से जुड़े 5 अनसुलझे सवाल, जिनके जवाब हर कोई मांग रहा है।

1. कैसे पहुंच गए 2.5 लाख श्रद्धालु?

रिपोर्ट्स के अनुसार स्थानीय एसडीएम ने सत्संग कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी। लेकिन पता चला है कि जब भगदड़ मची उस समय करीब ढाई लाख लोग वहां मौजूद थे। ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजिमी है कि जब अनुमति केवल 80 हजार लोगों के लिए थी तो वहां ढाई लाख लोग कैसे पहुंच गए? प्रशासन को क्या इसकी भनक ही नहीं लगी?

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2. सिर्फ 40 पुलिसवालों की तैनाती?

जानकारी के अनुसार सत्संग स्थल पर प्रशासन की ओर से सिर्फ 40 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। यानी 40 पुलिसकर्मियों पर ढाई लाख लोगों को संभालने का जिम्मा था। अगर यह मानें कि तैनाती 80,000 के आंकड़े को देखते हुए की गई थी तो भी हर पुलिसकर्मी पर 7500 लोग हो जाते हैं। 1 पुलिसकर्मी के लिए 7500 लोगों को नियंत्रित करना कहां तक संभव है?

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3. एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड क्यों नहीं थी?

अगर कार्यक्रम इतने बड़े स्तर का होता है तो प्रशासन मेडिकल टीम, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। लेकिन हाथरस में जब यह हादसा हुआ तो उस समय वहां पर ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं थी। ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि प्रशासन आखिर इसे लेकर क्या कर रहा था। लेकिन प्रशासन की ओर से इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया गया है।

4. एंट्री और एग्जिट पॉइंट क्यों नहीं थे?

120 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली इस भगदड़ की सबसे बड़ी लापरवाही ये रही कि आयोजन स्थल पर एंट्री और एग्जिट पॉइंट ही नहीं बनाए गए थे। इससे लोगों को पता ही नहीं चल पाया कि वह कहां से निकल सकते हैं। इसकी वजह से कई लोग गड्ढों में गिरकर जान गंवा बैठे। इस सवाल का जवाब भी कोई नहीं दे पा रहा है। यह आयोजकों और प्रशासन दोनों की लापरवाही है।

5. FIR में बाबा का नाम क्यों नहीं है?

पुलिस ने इस घटना में एफआईआर तो दर्ज कर ली है लेकिन इसमें सत्संग आयोजित कराने वाले भोला बाबा का नाम नहीं है। बता दें कि सूरज पाल उर्फ भोला बाबा के खिलाफ यौन शोषण समेत कई मामले चल रहे हैं। दुष्कर्म के मामले में वह जेल की सजा भी काट चुका है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि ऐसे इतिहास वाले इस बाबा को लेकर क्या नर्म रुख अपनाया जा रहा है।

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Gaurav Pandey

First published on: Jul 03, 2024 05:12 PM

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