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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

Greater Noida News: 23 साल पुराने Triple Murder में 4 को उम्रकैद, अदालत ने कहा संगठित अपराध बर्दाश्त नहीं

Greater Noida News: गौतमबुद्धनगर की जिला एवं सत्र न्यायालय ने 23 साल पुराने एक बहुचर्चित तिहरे हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इस मामले को गंभीर और संगठित अपराध की श्रेणी में रखते हुए दोषियों पर 77,000-77,000 का जुर्माना भी लगाया.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : praveen vikram Updated: Sep 30, 2025 12:55

Greater Noida News: गौतमबुद्धनगर की जिला एवं सत्र न्यायालय ने 23 साल पुराने एक बहुचर्चित तिहरे हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इस मामले को गंभीर और संगठित अपराध की श्रेणी में रखते हुए दोषियों पर 77,000-77,000 का जुर्माना भी लगाया. जुर्माना अदा न करने की स्थिति में सभी को अतिरिक्त छह-छह माह का कारावास काटना होगा.

जमीनी विवाद बना था खूनी संघर्ष की वजह

यह मामला थाना दादरी क्षेत्र के गांव नांगला नैनसुख का है, 24 अप्रैल 2002 को जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें तीन लोगों जेतीराम, धर्मवीर और नरेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. घटना के बाद बलबीर सिंह द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर माना गया कि गजेन्द्र सिंह, फिरे, संजीव उर्फ संजय, बिट्टू उर्फ रमेश और सिंटू उर्फ रविकांत समेत कई आरोपी हथियारों से लैस होकर उनके घर में घुसे और अंधाधुंध फायरिंग की थी.

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4 साबित हुए दोषी

अदालत ने इस मामले में गांव नगला दादरी के गजेन्द्र और फिरे तथा दुजाना गांव के रमेश उर्फ बिट्टू व सिंटू उर्फ रविकांत को हत्या के तहत दोषी पाया. विशेष न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, इसमें तीन निर्दोष लोगों की नृशंस हत्या की गई. पूरे परिवार को गंभीर आघात पहुंचा. ऐसे मामलों में कठोर सजा जरूरी है ताकि समाज में न्याय की भावना बनी रहे.

13 गवाहों ने दी गवाही

अभियोजन पक्ष ने अदालत में 13 गवाहों और 37 दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर यह सिद्ध किया कि आरोपियों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से हमला किया. गवाहों में मृतकों के परिजन, घायल, पंचनामा के साक्षी, और पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक शामिल थे. घटनास्थल से खाली कारतूस, खून से सनी मिट्टी, कपड़े आदि सबूत बरामद किए गए.

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बचाव पक्ष ने बताई अलग कहानी

दोषियों के वकील ने इस पूरे मामले को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए कहा कि असली घटना शिकायतकर्ता के घर पर नहीं हुई. गांव की एक अन्य महिला नेपाली देवी के घर हुई थी. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि क्रॉस एफआईआर दर्ज है और शिकायतकर्ता पक्ष ही हमलावर था. अदालत ने इन दलीलों को साक्ष्यों की रोशनी में अस्वीकार कर दिया.

दो आरोपियों की पहले ही हो चुकी है मौत

प्रारंभिक रूप से इस मामले में कुल छह आरोपी थे. इनमें से संजय की 2014 में और सोनू त्यागी की 2004 में मौत हो चुकी थी, जिसके चलते उनके खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी. शेष चार आरोपियों पर अंतिम निर्णय सुनाया गया है.

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First published on: Sep 30, 2025 12:55 PM

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