Greater Noida News: दिवाली का पर्व रोशनी, उत्साह और उमंग का प्रतीक है. इस उल्लास के बीच अगर सावधानी न बरती जाए, तो त्योहार की रौनक आंखों की रोशनी छीन सकती है. नेत्र विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आतिशबाजी के दौरान थोड़ी सी लापरवाही आंखों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है.
आंखों के लिए गंभीर खतरा बन रही है आतिशबाजी
सरकारी अस्पताल जिम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. कृष्ण कुलदीप गुप्ता ने बताया कि पटाखों में प्रयुक्त बारूद में फासफोरस जैसे रसायन होते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं आंखों में जलन, संक्रमण, एलर्जी और यहां तक कि रेटिना को नुकसान भी पहुंचा सकता है. कई मामलों में इससे मोतियाबिंद और मांसपेशियों को स्थायी क्षति तक की नौबत आ सकती है.
बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक
बच्चों की आंखों की मांसपेशियां पूरी तरह विकसित नहीं होती हैं, इसलिए आतिशबाजी उनके लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को आतिशबाजी से दूरी बनाकर ही खेलने देना चाहिए और बेहतर हो कि बड़ो की निगरानी में ही उन्हें पटाखे जलाने दिए जाएं.
रेटिना हो सकती है खराब
पटाखों से निकलने वाला धुआं सीधे आंखों की सतह और रेटिना को प्रभावित करता है. अचानक धमाका या चिंगारी लगने से आंखों में चोट लग सकती है, जो कि कई बार रोशनी तक छीन सकती है. दिवाली के दौरान देशभर के अस्पतालों में हर साल सैकड़ों आंखों से जुड़ी आपातकालीन स्थितियों के मामले सामने आते हैं.
उपाय और प्राथमिक उपचार
आंखों में जलन या चिंगारी लगने पर तुरंत ठंडे पानी से आंखें धोएं. आंखों को रगड़ने से बचें और किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें. बच्चों को सेफ्टी गॉगल्स पहनाकर ही आतिशबाजी के करीब ले जाएं.
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