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Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बिल्डर प्रेम का आज भी खामियाजा भुगत रहे खरीदार, CAG की रिपोर्ट में खुलासा

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में हजारों घर खरीदार आज भी एक घर की आस में कोर्ट-कचहरी और धरना-प्रदर्शन के रास्ते पर चलने को मजबूर है। यह संकट किसी प्राकृतिक आपदा का नहीं बल्कि सिस्टम की उस साजिश का नतीजा है जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आंखों में बसी बिल्डर दरियादिली सामने आई है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : praveen vikram Updated: Aug 15, 2025 19:32
greater Noida authority
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Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में हजारों घर खरीदार आज भी एक घर की आस में कोर्ट-कचहरी और धरना-प्रदर्शन के रास्ते पर चलने को मजबूर हैं। यह संकट किसी प्राकृतिक आपदा का नहीं बल्कि सिस्टम की उस साजिश का नतीजा है जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आंखों में बसी बिल्डर दरियादिली सामने आई है। न सिर्फ योजनाओं को अधर में लटका दिया बल्कि खरीदारों का भरोसा भी तार-तार कर दिया। इसका खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ है।

सीएजी की रिपोर्ट ने खोली कलई
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासे हुए है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच 94 बिल्डर व ग्रुप हाउसिंग भूखंड आवंटित किए जो बाद में बढ़कर 186 हो गए। इन परियोजनाओं में से अप्रैल 2021 तक मात्र 27 पूरी हो पाईं। शेष परियोजनाएं या तो अधूरी है या दशकों से लटकी हुई है।

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प्राधिकरण के फैसलों ने तोड़ा बोर्ड का वजूद
सीएजी रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अधिकारियों ने मनमाने तरीके से भूखंड आरक्षण एवं आवंटन की शर्तों में बदलाव कर दिए। वर्ष 2008-09 की योजना में आरक्षण राशि को 30 फीसदी से घटाकर पहले 20 फीसद और फिर 10 फीसद तक कर दिया गया। वह भी बिना बोर्ड की मंजूरी के। इससे बिल्डरों को कम रकम में अधिक जमीन मिल गई जबकि प्राधिकरण को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।

रिपोर्ट में आंकड़ों का जिक्र
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2021 तक बिल्डरों पर कुल बकाया 10,732.44 करोड़ है। 121 परियोजनाएं तय समय सीमा के बाद भी अधूरी है। 35 बिल्डरों ने 294.02 करोड़ की बकाया राशि नहीं चुकाई है।

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न अपात्रता की जांच, न पात्रता का मूल्यांकन
प्राधिकरण की लापरवाही यही नहीं थमी। 11 प्रकरणों में कंसोर्टियम के सदस्यों ने नियम के अनुसार विशेष प्रयोजन कंपनी का गठन नहीं किया। नियमों के विपरीत जाकर प्रमुख सदस्यों को प्रोजेक्ट छोड़ने की अनुमति दे दी गई। इससे अपात्र कंपनियों को एंट्री मिल गई और परियोजनाएं पूरी तरह दिशाहीन हो गई। चार मामलों में तो यह भी देखा गया कि कंपनियों ने पात्रता के पूरे दस्तावेज नहीं दिए। इसके बावजूद 272.70 करोड़ की जमीन के आवंटन की सिफारिश कर दी गई।

ये भी पढ़ें: CAG रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खामियां उजागर, सपा-बसपा शासनकाल में अरबों का हुआ नुकसान

First published on: Aug 15, 2025 07:32 PM

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