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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

Video: दिवाली पर इस राज्य में 300 साल बाद भी लगता है ‘गधा मेला’

Diwali Donkey Fair: मुगल बादशाह औरंगजेब के समय से शुरू हुए इस ऐतिहासिक गधा मेले की प्रदेश में एक अलग ही पहचान है।

Author Edited By : Amit Kasana Updated: Nov 2, 2024 16:09
Diwali Donkey Fair, Chitrakoot, Aurangzeb
प्रतिकात्मक फोटो, क्रेडिट गूगल

Diwali Donkey Fair: उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट में दीपावली से लगातार तीन दिन तक अनोखे गधा मेले का आयोजन किया जाता है । इस गधा मेला में भारत के कई प्रदेशों से हजारों की संख्या गधों के मालिक अपने गधों को बेचने और बढ़िया नस्ल के गधों को खरीदने आते हैं।

जानकारी के अनुसार मुगल बादशाह औरंगजेब के समय से शुरू हुए इस ऐतिहासिक गधा मेले की प्रदेश में एक अलग ही पहचान है। ऐसे कहा जाता है कि भारत में राजस्थान के बाद यह सबसे बड़ा जानवरों का मेला होता है।

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क्यों शुरू हुआ था ‘गधा मेला’?

इस ऐतिहासिक गधे मेले की शुरुआत की कहानी बहुत ही रोचक है। बताया जाता है कि जब मुगल बादशाह औरंगजेब ने सन 1670 के करीब चित्रकूट पर आक्रमण किया था तब उसके घोड़े बीमार पड़ गए और कई घोडे और खच्चरों ने अपना दम तोड़ दिया था। इसके बाद औरंगजेब ने चित्रकूट में बालाजी मंदिर का निर्माण करवाने के साथ सैंकड़ों बीघे जमीन मंदिर के नाम कर दी और आसपास के क्षेत्र में गधों की खरीद के लिए मुनादी करवाई।

आसपास कई जिलों से आते हैं कारोबारी

इसके बाद दूर दराज से कई लोगों ने आकर दीपावली के समय औरंगजेब की सेना को अपने गधों को बेचा था। इसके बाद से यह परंपरा आज तक चली आ रही है और इस परंपरा को लगभग अब 300 साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है। चित्रकूट में अमावस्या के दिन इस मेले की शुरुआत होती है और यह मेला तीन दिनों तक चलता है। इस मेले में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर प्रयागराज ,हमीरपुर, मऊरानीपुर, झांसी के साथ ही मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ से लगाकर नेपाल तक के जानवर कारोबारी अच्छी नस्ल के गधों और खच्चरों की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं।

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First published on: Nov 02, 2024 04:09 PM

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