UP Bulandshahr B.Tech Student Encounter Case (शाहनवाज चौधरी, बुलंदशहर) : 23 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने बीटेक छात्र के एनकाउंटर को सही मानते हुए रिटायर्ड डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से जहां वादी पक्ष में मायूसी छा गई तो वहीं पुलिस पक्ष में खुशी की लहर है। कोर्ट के आदेश आने के बाद पुलिस कर्मियों के परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए।
क्या था पूरा मामला?
3 अगस्त, 2002 को बुलंदशहर डिपो की रोडवेज बस दिल्ली से लखनऊ के लिए निकली थी। सिकंदराबाद थाना क्षेत्र स्थित बिलसूरी के पास एक सवारी ने ड्राइवर को तमंचे दिखाकर बस रुकवाई और कंडक्टर को गोली मार दी। इतना ही नहीं उसने कंडक्टर से थैला भी छीन लिया और भागने लगा। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और घेराबंदी कर युवक को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। मृतक युवक की शिनाख्त प्रदीप (20) निवासी सहपनी बुलंदशहर के रूप में हुई।
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अदालत के आदेश पर FIR दर्ज
मृतक प्रदीप के पिता यशपाल सिंह ने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने प्रदीप को बीटेक छात्र और नॉन क्रिमनल बैक ग्राउंड का हवाला देते हुए एनकाउंटर को फर्जी बताया। इस पर कोर्ट ने इंस्पेक्टर रणधीर सिंह (एनकाउंटर के समय) समेत 8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।
सीबीसीआईडी ने भी एनकाउंटर को सही माना
एफआईआर के बाद जांच में बुलंदशहर पुलिस ने एनकाउंटर को सही मानते हुए मुकदमे में एफआर लगा दी थी। हालांकि, मृतक के पिता ने शासन से सीबीसीआईडी से जांच करने की मांग की थी। इस पर शासन ने मंजूरी देते हुए सीबीसीआईडी को जांच सौंप दी। सीबीसीआईडी ने भी एनकाउंटर को सही माना था।
ड्राइवर से डीएसपी तक सब बरी
बीटेक छात्र एनकाउंटर मामले में एडीजे-4 फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सबूत के अभाव में पुलिस ड्राइवर से लेकर डीसीपी तक सभी को दोष मुक्त कर दिया। अदालत ने रिटायर्ड डीएसपी रणधीर सिंह, सिपाही तोताराम, सिपाही रघुराज सिंह, सिपाही सतेंद्र, सिपाही मनोज, ड्राइवर श्रीपाल सिंह, दरोगा संजीव कुमार यादव समेत 8 पुलिसकर्मियों को बरी किया है। सतेंद्र, श्रीपाल और संजीव अभी भी पुलिस सेवा में हैं, जबकि बाकी पुलिसकर्मी रिटायर्ड हो चुके हैं।
वकील ने क्या दी दलील?
डिफेंस के वकील धीरेंद्र सिंह ने बताया कि अदालत ने इस एनकाउंटर मामले को पुलिसकर्मियों के कर्तव्यों का सही निर्वहन माना। एनकाउंटर में मारे गए प्रदीप बीटेक का छात्र नहीं था, बल्कि उसको कॉलेज की ओर से एडमिशन के लिए बीटेक का ऑफर लेटर मिला था।
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न्याय की लड़ाई जारी रहेगी
मृतक के पिता यशपाल सिंह ने बताया कि वे कोर्ट के फैसले से निराश जरूर हैं, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे हैं। वे अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए हाई कोर्ट का रुख करेंगे और जब तक उनके बेटे को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक लड़ाई जारी रहेगी।