उत्तर प्रदेश सरकार की बीसी सखी योजना राज्य के ग्रामीण इलाकों में बड़ा बदलाव ला रही है। इस योजना के तहत अब तक यूपी में 50,192 महिलाओं को बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट के तौर पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें से 39,561 बीसी सखी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं और अब तक 31,626 करोड़ रुपये का लेनदेन कर चुकी हैं। इससे उन्हें 85.81 करोड़ रुपये का फायदा मिला है। जानकारी के अनुसार, सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीणों को उनके घर के पास बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना है।
क्या हैं इस योजना का उद्देश्य?
बीसी सखी योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे मई 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लॉन्च किया था। बीसी सखी योजना में बीसी का मतलब है ‘बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट’ और सखी का मतलब है दोस्त या महिला सहायक। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को बैंकिंग सेवाओं से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना है। ये योजना न केवल महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करती है बल्कि गांवों में बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच को भी आसान बनाती है।
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क्या होनी चाहिए योग्यता?
आयु- 18 से 45 वर्ष के बीच होना चाहिए।
शैक्षिक योग्यता- 10वीं कक्षा पास होना चाहिए।
स्वयं सहायता समूह से संबंध- स्वयं सहायता समूह की सदस्य होनी चाहिए।
अनुभव- बैंकिंग लेनदेन और वित्तीय साक्षरता में कुछ अनुभव होना चाहिए।
कैसे करें आवेदन?
आवेदन करने के लिए, आपको पहले LIC की वेबसाइट पर जाना होगा।
इसके बाद बीमा सखी के लिए यहां क्लिक करें
अब आपको अपना नाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, पता, और अन्य आवश्यक विवरण भरने होंगे।
अंत में, आपको अपना राज्य, शहर, और शाखा कार्यालय चुनना होगा और लीड फॉर्म सबमिट करना होगा।
ग्रामीणों को क्या होगा फायदा?
बीसी सखी गांव में लोगों को डिजिटल तरीके से बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, जिनमें शामिल हैं-
पैसा जमा करना या निकालना।
बैंक खाते के बारे में जानकारी प्रदान करना।
बैंक से जुड़ी योजनाओं के बारे में बताना।
सरकारी योजनाओं का पैसा सही लाभार्थी तक पहुंचाना।
बीसी सखी योजना से गांवों में बैंकों की दूरी और लागत कम हुई है, साथ ही महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार मिला है। ये योजना आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रही है। अब ग्रामीणों को बैंक जाने के लिए लंबी दूरी तय करने और पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बीसी सखी उनके घर के पास ही सभी जरूरी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं।
कितना मिलता है मानदेय?
बीसी सखी योजना के तहत नियुक्त महिलाओं को पहले 6 महीने तक 4,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें बैंकिंग उपकरण खरीदने के लिए 50,000 रुपये की एकमुश्त सहायता भी दी जाती है। ये वित्तीय सहायता महिलाओं को अपना काम शुरू करने और उसे सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है। बैंकिंग लेनदेन पर अतिरिक्त कमीशन भी दिया जाता है, जो आमतौर पर लेनदेन राशि का 0.20 प्रतिशत से 0.32 प्रतिशत तक होता है। जितना ज्यादा लेनदेन होगा, कमीशन भी उतना ही अधिक होगा, जिससे बीसी सखी की आय में बढ़ोतरी होती है।
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राज्य सरकार की इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा बैंक ग्राहकों को मिल रहा है। सरकार खास तौर पर गांव के लोगों को बैंकिंग सेवाओं का बड़ा तोहफा दे रही है। ग्रामीणों को पहले बैंक से पैसे निकालने और जमा करने के लिए जो पैसे खर्च करने पड़ते थे, अब वो भी बच रहे हैं। राज्य सरकार की इस नीति से ग्रामीण स्तर पर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं।