Ban on providing debit card check book and net banking facilities to builders: उत्तर प्रदेश में बिल्डरों को डेबिट कार्ड, चेक बुक और नेट बैकिंग की सुविधा देने पर भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority) ने रोक लगा दी है। यह सुविधा प्रोजेक्ट के तीन में से दो सेपरेट और कलेक्शन अकाउंट पर लागू होगी। इसके साथ ही भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण ने बताया कि बैंक खाता केवल मुख्य प्रोमोटर के नाम से खुलेंगे। इस संबंध में यूपी रेरा ने सभी बैंकों को आदेश भी जारी करते हुए राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी हैं।
24 दिसंबर, 2020 में यूपी रेरा ने एक आदेश जारी किया था जिसमें एक अप्रैल, 2021 से पंजीकृत होने वाले प्रोजेक्टों के तीन बैंक खाते होंगे। इनमें सेपरेट, कलेक्शन और ट्रांजेक्शन अकाउंट शामिल हैं। प्रोजेक्ट से जुड़ा पूरा पैसा कलेक्शन अकाउंट में आएगा। बैंकों को स्वत: ही 70 प्रतिशत धनराशि सेपरेट और 30 प्रतिशत धनराशि ट्रांजेक्शन अकाउंट में भेजनी होगी। अब यूपी रेरा ने सेपरेट और कलेक्शन अकाउंट में बिल्डरों को डेबिट कार्ड, चेक बुक और नेट बैंकिंग की सुविधा देने पर रोक लगा दी है। अफसरों ने बताया कि दोनों अकाउंट की धनराशि केवल प्रोजेक्ट पर ही खर्च की जाएगी। इन सुविधाओं से बिल्डर धनराशि का गलत उपयोग करते है, जिसकी वजह से इन तीन सुविधाओं पर रोक लगाई है। इस संबंध में सभी बैंकों को आदेश दिया गया है। अफसरों ने बताया कि प्रोजेक्ट के बैंक खाते केवल मुख्य प्रोमोटर के नाम पर ही खोले जाएंगे।
नियमों का पालन करना होगा
यूपी रेरा के अफसरों ने आदेश दिया कि बैंकों को खातों से जुड़े नियमों का पालन करना होगा। साथ ही नियमों के पालन की सूचना यूपी रेरा कार्यालय को पत्र के माध्यम से इसकी सूचना भेजनी होगी। जबकि एक पत्र बिल्डर को दिया जाएगा। बिल्डर पंजीकरण आवेदन के साथ उस पत्र को दाखिल करना होगा। अफसरों ने साफ किया है कि अगर नियमों का पालन नहीं किया तो फिर पंजीकरण नहीं होगा।
बिल्डरों के साथ- साथ बैंको पर भी होगी कार्रवाई
भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण ने बताया कि प्रदेश के सभी प्रोजेक्टों के बैंक खातों के संचालन, लेनदेन और व्यय विवरण को पारदर्शी बनाया जा रहा है। जिससे पूरा पैसा प्रोजेक्ट में लग सके। नए नियमों से प्रोजेक्टों के बैंक खातों का संचालन पारदर्शिता के साथ होगा। अगर कोई बिल्डर नियमों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ सख्त पर कार्रवाई की जाएगी। अगर बिल्डरों के द्वारा किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की गई तो इसके लिए बैंक भी जिम्मेदार होंगे।