Azam Khan release What impact on UP politics: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान 72 केसों में जमानत मिलने के बाद आज सीतापुर जेल से रिहा हो गए. उनके जेल से बाहर आने से उनके समर्थकों में जश्न का माहौल है. जेल में रहते हुए आजम खान ने कई बार अपनी नाराजगी जाहिर की थी, जिससे उनके और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच संबंधों पर सवाल खड़े हुए थे. अब यह देखना अहम होगा कि दोनों के बीच की केमिस्ट्री कैसी रहती है. आजम खान की रिहाई पर अखिलेश यादव ने कोर्ट का आभार जताया और कहा कि हम समाजवादियों को विश्वास था कि न्यायालय न्याय करेगा. हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में भाजपा द्वारा कोई भी झूठा मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा और कोई अन्याय नहीं होगा.
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सपा की राजनीति में आएगा बदलाव
#WATCH | Lucknow, UP: SP chief and MP Akhilesh Yadav says, "…SP leader Azam Khan has been released from jail. I would like to thank the Court for this. We, the Samajwadis, believed that the Court would do justice. We hope that in the time to come, no false cases will be filed… pic.twitter.com/CVAUi7hXlR
— ANI (@ANI) September 23, 2025
आजम खान के बाहर आने से रामपुर और उसके आसपास के इलाकों में सपा की राजनीति में बदलाव आएगा. रामपुर में सपा के मौजूदा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी का प्रभाव कम हो सकता है, जबकि आजम का दबदबा फिर से बढ़ सकता है. आजम खान जैसे कद्दावर नेता की वापसी से सपा की रणनीति, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, प्रभावित होगी. यह सपा के लिए एक मजबूत वापसी का अवसर हो सकता है.
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मुस्लिम वोटों पर दिखेगा असर, बसपा पर नजर
आजम खान उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं. उनकी वापसी से सपा मुस्लिम वोट बैंक पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश करेगी. बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमाशंकर सिंह ने आजम खान का बसपा में स्वागत करने की बात कहकर हलचल मचा दी थी. यदि आजम खान सपा से नाता तोड़ते हैं तो बसपा मुस्लिम-दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश कर सकती है, जो सपा और भाजपा दोनों के लिए चुनौती होगी.
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2027 के विधानसभा चुनाव पर प्रभाव
आजम खान की वापसी से न केवल सपा, बल्कि अन्य विपक्षी दल भी सतर्क हैं. खासकर बसपा और कांग्रेस, जो मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश में हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की वापसी सपा के लिए फायदेमंद होगी, जबकि कुछ का मानना है कि उनके पुराने तेवर और पार्टी से बढ़ती दूरी से मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.
राजनीति में कितने सक्रिय रह पाते हैं आजम
लंबे समय तक जेल में रहने के कारण आजम खान के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है. यह देखना होगा कि वे कितनी सक्रियता से राजनीति में उतरते हैं. अब देखना यह होगा कि अगर आजम खान सपा में बने रहते हैं या कोई नया राजनीतिक रास्ता चुनते हैं तो यह फैसला यूपी की सियासत में आने वाले समय में क्या बदलाव लेकर आता है.