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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक, प्रभु श्रीराम ने जहां-जहां रखे कदम, वहां बनेगा ‘श्रीराम स्तंभ’

सभी स्थानों पर पूरी तरह पत्थर से निर्मित, लगभग 15 फीट ऊंचे, कलात्मक और अलौकिक रूप वाले स्तंभ स्थापित किए जाएंगे. जिनका डिजाइन पारंपरिक सौंदर्य और आधुनिक होगा.

Author Written By: Akarsh Shukla Updated: Dec 27, 2025 23:51

जहां-जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े, वहां-वहां अब श्रीराम स्तंभ के रूप में नई पहचान बनने जा रही है. जी हां, अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक श्रीराम से जुड़े लगभग 292 से अधिक स्थानों की पहचान कर ली गई है, जहां चरण पड़ने या प्रवास की मान्यता है. इन सभी स्थलों पर श्रीराम स्तंभ स्थापित करने की पहल अशोक सिंघल फाउंडेशन ने शुरू की है, जो इस पूरे अभियान का भी खर्च भी वहन करेगा. विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों के सहयोग से इस अभियान को आकार देने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है. इन स्तंभों का मकसद केवल एक स्मारक खड़ा करना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक श्रीराम के आदर्शों, त्याग, मर्यादा और लोककल्याण की भावना को जीवित रखना है.

विजय और धर्म की स्थापना का संदेश


श्रीराम स्तंभ की डिजाइन भी प्रतीकात्मक रखी गई है. ऊंचे श्वेत स्तंभ के रूप में तैयार इस स्मारक के चारों ओर छोटी-छोटी रेलिंग और सजावटी पुष्पों की व्यवस्था की जाएगी, जबकि शीर्ष पर ध्वज लहराते हुए नजर आएगा, जो विजय और धर्म की स्थापना का संदेश देगा. स्तंभ पर लिखे शिलालेखों के जरिए उस स्थल की धार्मिक कथा, रामायण से जुड़ी घटना और स्थानीय विश्वास को विस्तार से दर्ज किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु को एक ही स्थान पर पूरी जानकारी मिल सके.

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15 फीट ऊंचे और हाईटेक होंगे श्रीराम स्तंभ


इन स्तंभों की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि ये हाईटेक होंगे और इन पर अंकित क्यूआर कोड को स्कैन करते ही राम वनगमन की पूरी गाथा, संबंधित स्थल का महत्व और रामायण से जुड़ी कथा डिजिटल रूप में मोबाइल पर दिखने लगेगी. अशोक सिंहल, राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में रहे हैं और अब उनकी स्मृति में चल रहा यह अभियान श्रीराम वनगमन पथ की ऐतिहासिकता को जन-जन तक पहुंचाने पर केंद्रित है. राम वनगमन मार्ग वही है, जहां वनवास के दौरान अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक प्रभु श्रीराम के पदचिह्न माने जाते हैं. इन सभी स्थानों पर पूरी तरह पत्थर से निर्मित, लगभग 15 फीट ऊंचे, कलात्मक और अलौकिक रूप वाले स्तंभ स्थापित किए जाएंगे, जिनका डिजाइन पारंपरिक सौंदर्य और आधुनिक उपयोगिता का संगम होगा.

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First published on: Dec 27, 2025 11:51 PM

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