Atiq Ashraf Murder: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 15 अप्रैल को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्याकांड की जांच को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कई सवालों पर जवाब मांगे हैं। अब तीन हफ्ते बाद फिर से इस मामले में सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमने वीडियो देखा है
जानकारी के मुताबिक जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने राज्य पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय परेड (पैदल) क्यों कराई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमने वीडियो फुटेज देखे हैं। अतीक और अशरफ को सीधे अस्पताल के प्रवेश द्वार पर क्यों नहीं ले जाया गया? अदालत ने यह भी पूछा है कि हत्यारोपियों को कैसे पता चला कि अतीक और अशरफ को उस दिन प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडल अस्पताल लाया जाएगा?
Supreme Court to hear after three weeks a petition seeking to constitute an independent expert committee under the chairmanship of a former SC judge to inquire into the killing of mafia brothers Atiq and Ashraf amid police presence.
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) April 28, 2023
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये दलील
इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि पुलिस हिरासत में हर दो दिन में मेडिकल जांच के लिए लाने की आवश्यकता होती है। हमें पता चला है कि वे (हमलावर) लगातार तीन दिनों से वहां आ रहे थे। रोहतगी ने कहा कि अतीक अहमद, उनका बेटा और उनका भाई, जो मुठभेड़ और गोलीबारी में मारे गए, वे जघन्य अपराधों में लिप्त थे।
राज्य ने बनाया है जांच आयोग
उनका परिवार हत्याओं जैसे अपराधों में शामिल रहा है। रोहतगी ने कहा कि घटना के बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और एक अन्य न्यायाधीश के साथ जांच आयोग का गठन किया है। इसके अलावा हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच दल भी गठित किए गए हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अतीक, उसके बेटे असद, भाई अशरफ समेत एक और सहयोगी की हत्या के मामले में व्यापक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से की गई ये मांग
बता दें कि याचिकाकर्ता/अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अतीक और अशरफ हत्याकांड के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि इन मौतों में एक ‘पैटर्न’ उभर रहा था। उन्होंने शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र समिति का गठन करने की मांग की थी। साथ ही अधिवक्ता तिवारी ने वर्ष 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की भी जांच कराने की मांग की है।