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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

‘पति जिंदा होकर भी जिंदा नहीं’…तो क्या पत्नी बेच सकती है संपत्ति? पढ़ें हाई कोर्ट की टिप्पणी

Allahabad high court decision: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने पति के इलाज के लिए प्रॉपर्टी बेचने की खातिर उसकी पत्नी को संरक्षक नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने कहा कि दुर्घटना की […]

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Oct 7, 2023 12:55
Uttar Pradesh News, Allahabad News

Allahabad high court decision: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने पति के इलाज के लिए प्रॉपर्टी बेचने की खातिर उसकी पत्नी को संरक्षक नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने कहा कि दुर्घटना की वजह के पति कोमा में है। पत्नी अब इलाज कराने के लिए उसके बैंक खाते ऑपरेट कर सकेगी, संपत्ति बेच सकेगी। न्यायालय ने पत्नी को संरक्षक मान लिया है। याचिकाकर्ता को काफी परेशानियां कानून के अभाव के कारण झेलनी पड़ी थीं। अब हाई कोर्ट ने पक्ष में फैसला दिया है।

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पूजा शर्मा की ओर से याचिका दायर की गई थी। अब हाई कोर्ट ने मामले में गाइडलाइन तय की हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि पति की जमीन को अधिक से अधिक कीमत पर बेचा जाए। जमीन के बदले जो पैसा मिले, वह महानिबंधक के जरिए बैंक में एफडी के तौर पर जमा किया जाए। कोर्ट में दादरी तहसील स्थित इलाभान गांव की महिला ने याचिका दायर की थी।

न्यायालय ने रिश्तेदार को भी दी विशेष छूट

एफडी करवाते समय बैंक की ब्याज दरों का भी ध्यान रखा जाए। पत्नी के बैंक खाते में पैसा होगा, तो इससे पति के इलाज और बच्चों की देखरेख में मदद मिलेगी। कोर्ट ने ये भी कहा कि पति की संपत्ति की बिक्री पर विवाद भी हो सकता है। हाई कोर्ट ने कहा कि पति के रिश्तेदार को हक होगा कि अगर उसके इलाज पर पैसा नहीं लग रहा है, तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। यानी पत्नी के संरक्षक बनाए जाने को लेकर चुनौती दे सकता है। लेकिन रिश्तेदार को साबित करना होगा कि इलाज पर पैसा नहीं लग रहा है। ऐसी स्थिति आने पर वह न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

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First published on: Oct 07, 2023 12:55 PM

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