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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

पिटाई के बाद कथावाचकों का सम्मान क्यों? अखिलेश यादव ने खुद बताई वजह

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इटावा के कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी को लेकर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इन कथावाचकों को सिर्फ यादव जाति से होने के कारण गांव में अपमानित किया गया, उनकी चोटी काट दी गई और नाक रगड़वाई गई। अखिलेश ने कहा कि यह कार्य भाजपा के इशारे पर हुआ और इसका उद्देश्य समाज को बांटना है। पढ़ें मानस श्रीवास्तव की रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jun 29, 2025 16:41
Akhilesh yadav
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आज मीडिया को बताया की उन्होंने इटावा के कथावाचकों को लखनऊ समाजवादी पार्टी के कार्यलय में बुलाकर सिर्फ इसलिए सम्मानित किया जिससे की समाज में दुरियां ना बढ़े। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर उनके ही लोगों ने इस तरीके का काम किया और कथा वाचकों की चोटी काट कर और उन्हें नाक रगड़वाकर अपमानित किया।

अखिलेश का दावा- पहले भी गांव में करवा चुके हैं कथा

अखिलेश यादव ने यह दावा किया कि यादव जाति के ये कथावाचक पहले भी इन्हीं गांवों में कथा करवाते रहे हैं। गांव के लोगों को पहले से पता था कि वह यादव जाति के हैं। यह कथा वाचक ऐसे हैं जो बगैर ज्यादा पैसे के भागवत कथा कहते आए हैं लेकिन इस बार उनको जानबूझकर अपमानित किया गया। यह कहना गलत है कि उन्होंने गांव के लोगों से अपनी जाति छिपाई। उस इलाके में सभी लोग जानते हैं कि यह कथा वाचक पहले भी कथा कहते रहे हैं और सभी लोग उनको भली भांति जानते हैं।

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‘गांव के लोग महंगे कथावाचक नहीं बुलाते’

अखिलेश यादव ने आज धीरेंद्र शास्त्री का नाम लेते हुए कहा कि वह बहुत महंगे कथावाचक हैं। वह मोटा पैसा लेते हैं। गांव के लोगों की इतनी हैसियत नहीं होती कि वह 50 लाख रुपए खर्च करके भागवत कथा करवाएं। इसीलिए इन लोगों को बुलाकर इलाके के गांव के लोग कथा सुनते आ रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी समाज को जातियों में बांटना चाहती है इसलिए हमने उनको बुलाकर सम्मानित किया उन्हें ढोलक दी और पैसे दिए।

क्या थी पूरी घटना?

दरअसल इटावा के दादरपुर गांव में कथावाचक संत कुमार यादव और मुकुट मणि यादव भागवत कथा कह रहे थे। उसी वक्त ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों ने उन पर यह आरोप लगाते हुए कि उन्होंने अपनी जाति छुपाते हुए खुद को ब्राह्मण बताया और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई। इसके बाद गांव के कुछ लोगों ने कथावाचकों के साथ मारपीट की उनकी चोटी काट दी। महिलाओं के पैरों में नाक रगड़वाई। इसके बाद अहीर रेजिमेंट के लोगों ने बवाल किया। इस मामले में कथावाचकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ जबकि जिन्होंने हिंसा की उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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First published on: Jun 29, 2025 04:39 PM

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