Air Pollution in Delhi-Noida: आमतौर पर दिवाली के आसपास या फिर गेहूं की फसलों की कटाई के समय दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण देखा जाता है, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बातें हो गई हैं। फिलहाल दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में प्रदूषण का चादर एक बार फिर से बिछ गई है।
दिल्ली-एनसीआर में लागू हुआ ग्रैप-2
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता गिर गई है। इससे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण II को लागू किया गया है।
दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता शुक्रवार सुबह 329 पर सूचकांक के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। इतना ही नहीं शहर के सभी प्रमुख निगरानी स्टेशनों में एक्यूआई को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया है।
नोएडा की स्थित ‘बहुत खराब’, कार्ययोजना तैयार
इस बीच नोएडा में एक्यूआई 366 के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी देखी गई। गुरुग्राम का एक्यूआई भी 322 पर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। बता दें कि 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को गंभीर माना जाता है।
इसके अलावा शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 12.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री ज्यादा था। जबकि गुरुवार को न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 28.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा था।
इस कदम से थमेगा वायु प्रदूषण
शुक्रवार से पहले गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ले में 270 एक्यूआई दर्ज हुआ, जिसके बाद सीएक्यूएम ने जीआरएपी-2 स्टेज को लागू किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर के एक्यूआई में सुधार करने और हवा की गुणवत्ता में और ज्यागा गिरावट से बचने के लिए आज यानी शुक्रवार से जीआरएपी-II के तहत सभी कार्यों को लागू करने का आह्वान किया है।
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क्या है जीआरपी-2
- सड़कों की सफाई के लिए मशीनों को लगाया जाता है।
- प्रमुख सड़कों और भारी यातायात वाले मार्गों पर धूल को उड़ने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव होता है।
- निर्माण स्थालों और तोड़फोड़ होने वाले इलाकों में धूल न उड़ने के लिए खास प्रबंध किए जाते हैं।
- होटलों और ढाबों में चलने वाले तंदूरों में कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल बंद कराया जाता है।
- जरूरी सेवाओं को छोड़कर अन्य किसी भी स्थल पर डीजल से चलने वाले जनरेटरों पर प्रतिबंध रहता है।
- निजी वाहनों को काबू करने के लिए पार्किंग स्थलों पर शुल्क बढ़ा दिया जाता है।
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