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AAP ने ONOE का किया विरोध, कहा- संसदीय लोकतंत्र और संघीय व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है यह विचार

AAP opposed ONOE: आम आदमी पार्टी ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है। पार्टी ने इसे लोकतंत्र, संवैधानिक सिद्धांतों और संघीय व्यवस्थाओं के लिए खतरा बताया है।

Edited By : Achyut Kumar | Updated: Jan 20, 2024 23:49
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AAP ने One Nation One Election का किया विरोध

AAP Opposed ONOE : आम आदमी पार्टी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) का पुरजोर विरोध किया है। उसने कहा कि यह विचार संसदीय लोकतंत्र, संविधान की मूल संरचना और देश की संघीय व्यवस्था के लिए खतरा है। इसके साथ ही, AAP ने ONOE के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति से कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव देश के लोकतंत्र, संवैधानिक सिद्धांतों और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला के लिए एक गंभीर खतरा है।

‘ONOE से केवल 0.1 फीसद राशि की ही बचत होगी’

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AAP ने कहा कि ONOE से त्रिशंकु विधानसभाओं, दल-बदल विरोधी और विधायकों/सांसदों की खुली खरीद-फरोख्त करने का रास्ता खुलेगा। पार्टी ने चुनाव में होने वाले खर्च और ONOE से होने वाले फायदों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि एक साथ चुनाव कराने से भारत सरकार के वार्षिक बजट का केवल 0.1 फीसद राशि की ही बचत होगी। इसलिए, मामूली वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए संविधान और लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

AAP ने ONOE के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति को भेजा जवाब

बता दें कि ONOE के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर AAP की राय जानना चाहती थी। इसके लिए उसने AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को संबोधित एक पत्र लिखा था, जिसके  जवाब में  AAP के राष्ट्रीय सचिव पंकज कुमार गुप्ता ने पार्टी की ओर से समिति को जवाब भेजा है। जवाब में इस मुद्दे पर पार्टी की तरफ से कुछ गंभीर चिंताएं व्यक्त की गई हैं।

‘लोकतंत्र के सिद्धांतों का बलिदान नहीं किया जा सकता’

आम आदमी पार्टी ने कहा कि ONOE का विचार सुनने में अच्छा लग सकता है, लेकिन इसके कामकाज के विवरण से पता चलता है कि यह हमारे लोकतंत्र, संवैधानिक सिद्धांतों और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों के विचार को बेहद कमजोर करता है। ऐसे में मामूली वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए संविधान व लोकतंत्र के सिद्धांतों का बलिदान नहीं किया जा सकता।

‘संविधान के बुनियादी ढांचे को होगा नुकसान’

AAP ने कहा है कि देशभर में सभी चुनाव एक साथ कराने से संविधान के मूल ढांचे को हानि पहुंचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि संविधान की मूल ढांचे को कमजोर नहीं किया जा सकता है, जबकि ONOE का विचार और तंत्र मौलिक रूप से संविधान के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाता है।

लोकतंत्र

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि ONOE लागू होने से कोई भी सरकार अपना विश्वास मत खोने के बावजूद भी पांच साल के लिए सत्ता में बनी रहेगी, जिससे लोकतांत्रिक शक्ति के इस्तेमाल का दुरुपयोग होगा। जब कोई सरकार लोगों का विश्वास खो देगी तो ONOE उसे सत्ता में बने रहने की अनुमति देगा। ONOE पर कुछ रिपोर्ट विभिन्न राज्य सरकारों और विधायिकाओं के कार्यकाल में कटौती और विस्तार का सुझाव देती है, जो जनता के वोट द्वारा दिए गए जनादेश का उल्लंघन है।

संसदीय संरचना

AAP ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सरकार तब तक सत्ता में रहती है, जब तक उसे विधायिका का विश्वास प्राप्त रहता है। अगर कोई सरकार जनता के प्रतिनिधियों का विश्वास खो देती है तो उसे इस्तीफा दे देना होता है, जबकि ONOE के प्रस्ताव में सुझाव दिया गया है कि अविश्वास के मतदान को रचनात्मक अविश्वास के मतदान से बदल दिया जाएगा। इससे विधायिका का समर्थन खो चुकी सरकार सत्ता में बनी रहेगी, जब तक कि विधायिका वैकल्पिक सरकार को अपना समर्थन नहीं दे देती है। इससे सरकार की जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं रहेगी।

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

आम आदमी पार्टी ने कहा कि ONOE लागू होने से राष्ट्रीय एजेंडे को भी खतरा है, क्योंकि इससे केंद्र में शासन करने वाली पार्टी को राज्यों के चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों और अन्य पार्टियों से ज्यादा फायदा मिलेगा। कुछ प्रमाणों के अनुसार, बहुत बड़ी संख्या में मतदाता विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी को वोट देते हैं, जिसके लिए वो लोकसभा चुनाव में मतदान करते हैं। ऐसे में नागरिकों के मतदान से प्रभावित होकर अन्य पार्टियां राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका कैसे निभा पाएंगी? वहीं, छोटी क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो सकती हैं, जिससे देश में केवल प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों का ही वर्चस्व बढ़ेगा।

संघीय ढांचा

AAP  ने ONOE से संविधान के संघीय ढांचे पर खतरे की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र और राज्यों के संबंधों के संतुलन को बदल देगा। साथ ही शक्तियों का और अधिक केंद्रीकरण करेगा, जबकि संघीय ढांचे के लिए केंद्र और राज्यों में चुनाव को राजनीतिक प्रक्रिया से अलग रहने की आवश्यकता है। वर्तमान चुनाव प्रणाली लोगों को विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के अनुसार, अपनी राज्य सरकारों को चुनने का विकल्प प्रदान करती है। दूसरी ओर, ONOE के कारण चुनाव एक केंद्रीय मंच पर होगा। ऐसे में क्षेत्रीय मुद्दों का सफाया हो जाएगा।

ओएनओई की त्रिशंकु विधानसभाओं से निपटने में असमर्थता

आम आदमी पार्टी ने वर्तमान भारतीय राजनीति के व्यवहारिक पहलुओं पर कहा कि ओएनओई का प्रस्ताव है कि जहां किसी भी राजनीतिक दल के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है तो उस स्थिति में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का चयन स्पीकर की तरह किया जा सकता है। ऐसे चयनों से दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान कमजोर पड़ सकते हैं, क्योंकि अगर चुनाव से पहले दलों के बीच गठबंधन नहीं हो पाएगा तो ओएनओई दल-बदल की आशंका को बढ़ावा देगा और सदन में विधायकों की खरीद-फरोख्त को खुला प्रोत्साहन मिलेगा। इससे सबसे अधिक धन और बाहुबल शक्ति वाले दल के पास सरकार बनाने का मौका होगा और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उस दल के पास जनता का समर्थन हो या नहीं।

 ‘भाजपा को मिलेगा फायदा’

AAP  ने कहा कि हालांकि, ओएनओई में दल-बदल विरोधी कानून में छूट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी दल-बदल करने वाले विधायकों को बाद में सदन से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। इसके बावजूद उनके द्वारा दिया गया समर्थन मान्य होगा, जबकि किसी भी सरकार के लिए ऐसा समर्थन कानूनी और नैतिक रूप से गलत है। विभिन्न राज्यों में सरकार की अस्थिरता के हालिया रुझान दिखाते हैं कि दल-बदल विरोधी कानून में कमियों से लगभग हमेशा केंद्र में सत्तारूढ़ दल (भाजपा) को फायदा मिलता है। जिसका सीबीआई, ईडी जैसी जांच एजेंसियों पर नियंत्रण है। भारतीय चुनाव आयोग ने भी अपने वार्षिक रिपोर्ट में अभूतपूर्व धन शक्ति के इस्तेमाल को लेकर खुलासा किया है।

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अविश्वास प्रस्ताव

आम आदमी पार्टी ने कहा कि ओएनओई के तहत प्रस्तावित रचनात्मक अविश्वास प्रणाली में एक प्रमुख खामी है कि अगर कोई प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव हार जाता है, लेकिन कोई वैकल्पिक सरकार नहीं बन पाती है तो रचनात्मक मत प्रणाली उसे पद पर बने रहने की अनुमति देती है। हालांकि, इसके बाद इस बात की आशंका रहेगी कि विपक्ष सरकार की योजनाओं का विरोध करने के लिए एकजुट हो सकता है, जिससे सदन में कई विधायी प्रस्ताव पास नहीं हो पाएंगे। यहां तक कि धन से संबंधित विधेयक भी बाधित हो सकते हैं। अमेरिका में सरकार को इस तरह के गतिरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे सरकार कई कार्य नहीं कर पाती है। शोध से पता चलता है कि अविश्वास प्रस्ताव द्वारा सरकार की स्थिरता को खतरा अधिक नहीं रहता। लेकिन इसे रचनात्मक अविश्वास के वोट के जरिए विधायिका के कार्यकाल को पांच साल तक तय करने के रूप में उल्लेख नहीं किया जा सकता है।

आदर्श आचार संहिता और चुनाव पद्धति

AAP ने कहा कि ओएनओई में इस बात का तर्क दिया गया है कि आदर्श आचार संहिता के कार्यान्वयन से सरकार के कामकाज में बाधा आती है, जबकि ये बात सही नहीं है। आदर्श आचार संहिता सामान्य सरकारी कामकाज में बाधा नहीं डालता है और दैनिक प्रशासनिक कार्य बिना किसी बाधा के चलते रहते हैं। चुनाव पद्धति राजनीतिक दलों को सतर्क रखता है और उन्हें सुधार के लिए प्रेरित करता है। पार्टी ने कहा कि विधि आयोग की रिपोर्ट बताती है कि चुनाव आयोग सरकारों द्वारा आदर्श आचार संहिता पर भेजे गए सवालों का तुरंत जवाब नहीं दे पाता है। वह आदर्श आचार संहिता को और अधिक विशिष्ट बनाने में विफल रहा है, जिससे अस्पष्टता की गुंजाइश बनी हुई है। चुनाव आयोग ने खुद 5 से 8 चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की आदत डाल ली है, जो कि बड़े राज्यों में एक या अधिकतम दो चरणों में आयोजित किया जा सकता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया 30 से 45 दिनों में समाप्त हो सकती है।

वित्त पर प्रभाव

AAP ने उच्चस्तरीय समिति को भेजे जवाब में कहा कि एक साथ होने वाले चुनावों और वर्तमान स्वरूप में होने वाले चुनावों के खर्चों का कोई मजबूत और व्यापक तुलनात्मक विश्लेषण नहीं किया गया है। ओएनओई की एक सिफारिश में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराने का खर्च 4,500 करोड़ रुपये है, जो लगभग 45,00,000 करोड़ रुपये के केंद्रीय बजट खर्च और पिछले 10 साल में उद्योगपतियों द्वारा न चुकाए गए करीब 15 लाख करोड़ रुपये की कर्ज माफी के बराबर है, जो भारत सरकार के वार्षिक बजट का करीब 0.1 प्रतिशत है।

‘विधि आयोग की वित्तीय विश्लेषण की रिपोर्ट भी त्रुटिपूर्ण’

आम आदमी पार्टी कहा कि विधि आयोग की वित्तीय विश्लेषण की रिपोर्ट भी त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि यह वर्तमान प्रणाली में किए जा रहे खर्च की तुलना में एक साथ चुनाव (नए ईवीएम की खरीद, भंडारण स्थान की व्यवस्था आदि) के अनुमानित लागत को प्रदान नहीं करती है। पार्टी ने उच्चस्तरीय समिति  से अपील की है कि उनके द्वारा दिए गए सभी सुझावों पर निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती तरीके से विचार करें और संवैधानिक सिद्धांतों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। AAP ने कहा कि भारत का एक गौरवशाली लोकतंत्र है, जिसने पिछले 75 वर्षों में पूरी दुनिया के देशों को प्रेरित किया है। इसलिए यह हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि उन सिद्धांतों को बनाए रखें और मजबूत करें, जिसने पिछले सात दशकों में देश की अच्छी सेवा की है।

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Written By

Achyut Kumar

First published on: Jan 20, 2024 11:49 PM

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