UP News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में पुलिस ने फर्जी लोन एप से ठगी करने वाले शातिरों के गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि आरोपियों की तार बांग्लादेश और पाकिस्तान से जुड़े थे। हापुड़ एसपी अभिषेक वर्मा ने दावा किया है कि लोन देने के बाद आरोपी पीड़ितों को फोटो एडिटिंग के जरिए ब्लैकमेल करते थे। उनसे रुपये ऐंठते थे।
पाकिस्तान और बांग्लादेश से चला रहे थे एप
इन रुपयों को पाकिस्तान के लाहौर में लोन एप संचालकों को बाइनेंस क्रिप्टो करेंसी से ट्रांसफर किया जाता था। पुलिस की जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने हाल-फिलहाल में 25 से 30 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। पुलिस ने इनके पास से दो आईफोन, पांच अन्य फोन, एक लैपटॉप एप्पल, एक लग्जरी कार समेत नगदी भी बरामद की है।
हापुड़ पुलिस ने एक पीड़ित ने की शिकायत
एसपी अभिषेक वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि हापुड़ पुलिस की साइबर सेल में चिराग अरोड़ा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके साथ लोन के नाम पर ठगी हुई है। शातिर ठगों ने मात्र चार-पांच हजार रुपये के लोन देने के बाद उससे हजारों रुपये ठग लिए। शातिर ठगों ने उसका फोटो एडिट कर रिश्तेदारों के मोबाइल पर भेजकर रुपये वसूले। साथ ही अश्लील फोटो बनाकर उससे भी ठगी की गई है।
आरोपियों की हुई पहचान
शिकायत के बाद हरकत में आई साइबर सेल टीम ने जांच शुरू की। साइबर सेल की टीम ने कार्रवाई करते हुए छिजारसी टोल प्लाजा के नजदीक से तीन लोगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान प्रशांत निवासी आनंदा अपार्टमेंट, थाना कापसहेड़ा, अभिषेक तिवारी निवासी कापसहेड़ा, थाना कापसहेड़ा, दिल्ली और जितेंद्र निवासी मौहल्ला गड़रपुरा धौलपुर, राजस्थान के रूप में हुई है।
इन एप से करते थे ठगी
एसपी ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया, वह नूर मौहम्मद के साथ मिलकर फर्जी चाइनीज लोन एप क्रेजी मंकी, टाका एप, कैश लोन एप, इंस्टा लोन एप द्वारा लोगों से धोखाधड़ी और ठगी कर रहे थे। इन सभी एप का संचालन पाकिस्तान और बांग्लादेश से हो रहा है। उसमें उपभोक्ता की व्यक्तिगत जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, बैंक खाता, पैन कार्ड, आधार कार्ड व सेल्फी फोटो आदि सबमिट कराई जाती थी।
मोबाइल से चुराते थे डाटा
डाटा मिलने के बाद एक हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक का लोन दे दिया जाता था। इसके बाद कई गुना वसूलने के लिए व्हॉटसएप नंबरों से उपभोक्ता की फोटो एडिट करके अश्लील फोटो बनाई जाती थी। उनके एप से चोरी किए गए नंबरों पर वायरल करने की धमकी देते थे। वसूली होने के बाद पाकिस्तान में एप संचालकों को पैसा क्रिप्टोकरेंसी से ट्रांसफर करते थे।