सरकारी नौकरी में बैठा ‘दिव्यांग’ सुबह-सुबह क्रिकेट खेल सकता है, शादी में नाच सकता है और बाइक चलाकर बाजार भी जा सकता है। राजस्थान की सरकारी भर्ती में दिव्यांग कोटे का सबसे बड़ा तमाशा सामने आया है। जिसके बाद अब सरकार भी आप हरकत में आ गई है।
नई मेडिकल रिपोर्ट से पता चली सच्चाई
दरअसल, राजस्थान पुलिस की स्पेशल ओपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने ऐसे 29 सरकारी कर्मचारियों के दिव्यांग प्रमाण-पत्र की दोबारा जांच करवाई, जिन्होंने इसी कोटे से नौकरी पाई थी। राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के डॉक्टरों की टीम ने टेस्ट किया तो नई मेडिकल रिपोर्ट के बाद सामने आई सच्चाई ने हर किसी को चौंका कर रख दिया। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र की सहायता से सरकारी नौकरी पा चुके 29 में से सिर्फ 5 असली दिव्यांग थे जिनमें नियमानुसार 40% या उससे ज़्यादा की दिव्यंगता थी। बाकी 24 कर्मचारी पूरे-के-पूरे फिट थे। यानी दिव्यांग कोटे के नाम पर सरकारी नौकरी प्राप्त की थी।
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श्रेणीवार ‘फर्जीवाड़े’ का चला पता
श्रेणीवार ‘फर्जीवाड़ा’ की बात करें तो श्रवण बाधित 13 लोगों ने इससे जुड़ा मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी पा ली थी। जब जांच की गई तो सभी 13 लोग जालसाज निकले। यानी कि इन्हें उनके दोनों ही कानों से सब कुछ साफ साफ सुनाई दे रहा था। जबकि दृष्टि बाधित 8 में से 6 लोग फर्जी थे। इसी तरह अन्य दिव्यांगता दिखाकर 8 लोगों ने नौकरी ली थी जिसमें से मेडिकल जांच के बाद 5 लोग फर्जी निकले।
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कैसे खेला गया ये खेल?
जांच करने पर पता चला है कि मेडिकल बोर्ड की मिलीभगत से नकली प्रमाण-पत्र बनाए गए थे। सरकारी नौकरी हथियाई गई और असली दिव्यांग दर-दर की ठोकरें खाते रहे। अब एसओजी जालसाजी के इस खेल की बड़ी मछलियों’ को पकड़ने की कोशिश में है।लेकिन सवाल बड़ा है क्या नौकरी जाएगी? क्या जेल होगी? या फिर फाइलों में ये खेल भी हमेशा की तरह दफन हो जाएगा?