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राजस्थान

भिवाड़ी पुलिस की गुंडागर्दी, होटल मालिक को पीटकर किया लहूलुहान, सबूत किए गायब

भिवाड़ी थाने के पुलिसकर्मियों ने नशे में होटल मालिक से पैसे मांगने पर बेरहमी से पिटाई की। वीडियो सबूत मोबाइल से डिलीट कर पीड़ित को धमकाया गया। अब पुलिस मामले को दबाने में जुटी है।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 21, 2025 15:04

(साहिल खान, भिवाड़ी, अलवर)

भिवाड़ी थाना क्षेत्र में पुलिस की दबंगई का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां फूलबाग स्थित दिलखुश ढाबे पर खाना खाने पहुंचे पुलिसकर्मियों ने मामूली बिल को लेकर होटल मालिक और उसके भांजे को बेरहमी से पीट-पीटकर लहुलुहान कर दिया।

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क्या था मामला?

रविवार रात भिवाड़ी थाने के तीन पुलिसकर्मी- कॉन्स्टेबल शांतिलाल, समय सिंह और राम सिंह ढाबे पर पहुंचे थे। उन्होंने पहले गाड़ी में बैठकर शराब पी, फिर नशे की हालत में खाना खाया। जब ढाबा मालिक हुकुमचंद शर्मा ने खाने के 230 रुपए मांगे, तो पुलिसकर्मियों ने पैसे देने से इनकार कर दिया। हुकुमचंद ने जब रियायत कर 150 रुपए मांगे, तो वे भड़क उठे।

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इसके बाद पुलिसकर्मियों ने थाने से ड्राइवर अमराराम को बुलाया। वह राम सिंह और समय सिंह के साथ ढाबे पहुंचा। सभी पुलिसकर्मियों ने होटल मालिक और कर्मचारियों की पिटाई की। हुकुमचंद शर्मा और उसके भांजे प्रदीप कुमार शर्मा को जबरन गाड़ी में डालकर थाने ले गए।

थाने में बर्बरता

रात 11 बजे थाने में कॉन्स्टेबल शांतिलाल और एएसआई अमर सिंह ने थाना अधिकारी की केबिन के सामने प्रदीप को सीढ़ियों पर पटक कर पीटा। शांतिलाल को पता चला कि प्रदीप ने मारपीट की वीडियो बनाई है। उन्होंने प्रदीप की गर्दन पैर से दबाई और मोबाइल का पासवर्ड पूछा। फोन खोलकर वीडियो-फोटो डिलीट कर दिए।

इस दौरान प्रदीप का सिर सीढ़ियों से टकरा गया। उसके सिर और कान के पास से खून बहने लगा। मामला बढ़ता देख अन्य पुलिसकर्मियों ने बीच-बचाव किया और घायल प्रदीप को अस्पताल में भर्ती कराया।

गंभीर चोटें और इलाज

प्रदीप का प्राथमिक इलाज कर रात को छुट्टी दे दी गई। सोमवार सुबह मामले को तूल पकड़ता हुआ देख थाने के पुलिसकर्मी और अधिकारी मामले को रफा-दफा करने में जुट गए। यहां तक कि पीड़ित पर राजीनामा करने का दबाव बनाने लगे। इस दौरान शहर में कुछ बिचोलिए बीच में आए और पुलिसकर्मियों की बात रखते हुए पीड़ित पक्ष पर राजीनामा करने का दबाव बनाने लगे। वहीं ढाबा मालिक हुकुमचंद शर्मा और पीड़ित प्रदीप कुमार अब डरे-सहमे हैं और पुलिस की गुंडागर्दी से भयग्रस्त हैं। साथ ही पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत देने का विचार कर रहे हैं।

वहीं, दूसरी तरफ पूरे मामले में अब तक कोई भी उच्च पुलिस अधिकारी सार्वजनिक रूप से कुछ भी बोलने से बचता नजर आ रहा है। यह चुप्पी कानून के रखवालों पर कई सवाल खड़े करती है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Apr 21, 2025 03:04 PM

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