Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रचार करने आए पीएम मोदी ने भीलवाड़ा की सभा में राजेश पायलट का जिक्र छेड़कर सियासत गरमा दी। पीएम ने कहा कि गांधी परिवार से अदावत की सजा आज उनका बेटा भुगत रहा है। इस पर सचिन पायलट ने कहा कि पीएम मोदी का बयान तथ्यों से परे हैं। पीएम मोदी इससे पहले भी कई बार सीताराम केसरी, नरसिम्हा राव के बहाने गांधी परिवार पर निशाना साधते रहे हैं। जानें राजेश पायलट के साथ ऐसा क्या हुआ जिसका जिक्र पीएम मोदी ने भीलवाड़ा की चुनावी सभा में किया।
कांग्रेस ने दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट हमेशा से मुद्दों को लेकर पार्टी और सरकार से अलग स्टैंड रखते थे। उन्होंने कई बार पार्टी स्टैंड के इतर अपनी राय रखी लेकिन पार्टी को कभी अलविदा नहीं कहा। राजीव गांधी की सलाह वे राजनीति में आए थे। 1980 में पहली बार चुनाव लड़ा और भरतपुर से लोकसभा के सांसद बने। 1984 में दौसा संसदीय सीट से लगातार चुनाव जीते। इसके बाद 1991 की नरसिम्हा राव की सरकार में राजेश पायलट को आतंरिक सुरक्षा और संचार मंत्री बनाया गया। 2 हजार के दशक में तांत्रिक चंद्रास्वामी की पहुंच पीएम नरसिम्हा राव सरकार तक थी क्योंकि राव उन्हें आध्यात्मिक गुरु मानते थे।
Modi Ji’s statements are far from facts, Sri Rajesh Pilot took inspiration from Indira Ji and joined Indian National Congress & he served people for a long time!
PM doesn’t have to worry about me and my future, congress and people of Rajasthan will decide that – best rebuttal… pic.twitter.com/I73jUQqhHK
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परिवारवाद को लेकर साधा निशाना
जब नरसिम्हा राव की सरकार पर घोटाले के आरोप लगे तो उसमें चंद्रास्वामी का नाम भी सामने आया। इसके बाद उनका नाम राजीव गांधी हत्याकांड से भी जुड़ा। हालांकि पीएम के करीबी होने के कारण उन पर एक्शन नहीं हो पा रहा था। ऐसे में पायलट ने उन पर जांच बैठा दी क्योंकि वे आंतरिक सुरक्षा मंत्री थे जिसके बाद उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। हालांकि पीएम मोदी ने जिस घटना का जिक्र किया वो साल 2000 की है। दस साल बाद सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय हो गईं। सीताराम केसरी को हटाकर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने की कवायद शुरू हो गई। तब पीए संगमा और राजेश पायलट जैसे नेताओं ने खुलकर परिवावाद का विरोध किया था। इसके बाद शरद पवार और पीए संगमा को पार्टी से निकाल दिया गया। ऐसे में पायलट पार्टी में अकेले पड़ गए।
इसके बाद सोनिया गांधी ने नामांकन भरा लेकिन उन्हें चुनौती मिली जितेंद्र प्रसाद से जोकि उस समय यूपी के शाहजहांपुर से सांसद थे और अभी फिलहाल उनके बेटे जितिन प्रसाद योगी सरकार में मंत्री हैं। हालांकि यह चुनाव वे हार गए।