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राजस्थान में भाजपा के 61 गढ़, उनमें से 10 सीटों पर बगावत, बागी बिगाड़ेंगे खेल

Rajasthan Assembly Election 2023 BJP Face Rebellion On 10 Seats: राजस्थान में भाजपा अब तक 124 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है तो वहीं कांग्रेस भी 95 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Oct 31, 2023 07:43
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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023

Rajasthan Assembly Election 2023 BJP Face Rebellion On 10 Seats: राजस्थान में भाजपा अब तक 124 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है तो वहीं कांग्रेस भी 95 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। इस बीच भाजपा को अपने ही नेताओं से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी द्वारा घोषित 124 उम्मीदवारों में से 24 उम्मीदवारों का कड़ा विरोध हो रहा है। प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 61 सीटें पार्टी का गढ़ मानी जाती है। इनमें से 10 सीटों पर पार्टी को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। ये वे सीटें हैं जहां भाजपा 2 या इससे अधिक बार जीत चुकी है।

इन सीटों पर जीत पक्की होने से बड़ी संख्या में दावेदार उम्मीदवारी करते हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर इन सीटों पर बगावत होती है तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही हाल कांग्रेस का भी है कांग्रेस ने भी 95 उम्मीदवार घोषित किए हैं उनमें से आधा दर्जन पर विरोध हो रहा है।

सांगानेरः यह सीट भाजपा के कद्दावर नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी की सीट हैं। पार्टी ने उनको राज्यसभा सांसद बना दिया। पिछले चुनाव में पार्टी ने यहां से जयपुर के पूर्व मेयर अशोक लाहोटी को उम्मीदवार बनाया। लाहोटी ने यहां जीत दर्ज की। इस बार पार्टी ने लाहोटी की जगह भजनलाल शर्मा को उम्मीदवार बना दिया। ऐसे में लाहोटी यहां से बगावत कर सकते हैं।

झोटवाड़ाः वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत ने यहां से लगातार दो चुनाव जीते और 2018 में हार गए। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बना दिया। शेखावत के समर्थक नाराज हैं। ऐसे में अगर शेखावत को किसी और सीट से नहीं उतारा जाता है तो वे पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

चित्तौड़गढ़: यहां भाजपा के चंद्रभान आक्या 2013 में 12 हजार और 2018 में 24 हजार वोटों से जीते। इस बार उनका टिकट काटकर यहां से नरपत सिंह राजवी को टिकट दिया गया। ऐसे में आक्या ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वे 2 नवंबर को निर्दलीय पर्चा दाखिल करेंगे। ऐसे में यहां भाजपा हार सकती है।

किशनगढ़: यहां से पार्टी ने अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने यहां 2013 में भी भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि 2018 में पार्टी ने भागीरथ चौधरी की जगह विकास चौधरी को उम्मीदवार बना दिया। ऐसे में विकास चौधरी ने कांग्रेस ज्वाॅइन कर ली। कांग्रेस ने हालांकि अभी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है ऐसे में लग रहा है कि पार्टी उन्हें उम्मीदवार बना सकती है।

राजसमंद: इस सीट पर भाजपा ने किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उम्मीदवार बनाया है। किरण इस सीट से 2008, 2013 और 2018 में जीत चुकी है। 2020 में कोरोना से मौत होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो पार्टी ने यहां से उनकी बेटी दीप्ति को उम्मीदवार बनाया और वह जीत गईं। अब फिर से पार्टी ने दीप्ति को टिकट दिया तो उनका विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय नेता उन्हें बाहरी बताकर जबदरस्त विरोध कर रहे हैं।

सांचौर: यहां बगावत के कारण भाजपा पहले भी तीन बार हार चुकी है। इस बार भी लग रहा है कि पार्टी यहां से हार सकती है। 2008 में पार्टी ने निर्दलीय विधायक जीवाराम को उम्मीदवार बनाया तो वे 24 हजार वोटों से हार गए। इसके बाद पार्टी ने 2013 में यह सीट जीत ली। इसके बाद 2018 के चुनाव में पार्टी ने दानाराम को उम्मीदवार बनाया तो उन्हें 58 हजार वोट मिले जबकि जीवाराम को 49 हजार वोट मिले। अब इस बार पार्टी ने दोनों को दरकिनार कर देवजी पटेल को उम्मीदवार बनाया है। देवजी यहां से सांसद भी हैं। लेकिन इस बार भी स्थिति कमोबेश वहीं पिछले 3 चुनावों वाली है। ऐसे में भाजपा यह सीट भी हार सकती है।

उदयपुरः यह सीट भाजपा का गढ़ रही है। गुलाबचंद कटारिया इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। फिलहावे असम के राज्यपाल हैं। पार्टी ने इस बार यहां से ताराचंद जैन को उम्मीदवार बनाया। यहां से उपमहापौर पारस देशमुख उम्मीदवारी पेश कर रहे थे। ताराचंद की उम्मीदवारी के खिलाफ उन्होंने शहर में रैली भी निकाली। ऐसे में देशमुख बगावत कर मैदान में उतरते हैं पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ सकती है।

First published on: Oct 31, 2023 07:41 AM

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