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राजस्थान में 5 सीटों पर उपचुनाव, By-Election में BJP का रिकाॅर्ड खराब, मोदी लहर में भी कांग्रेस हावी

Rajasthan Assembly By Election Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब बीजेपी की अगली परीक्षा विधानसभा की 5 सीटों पर होने वाला उपचुनाव है। राजस्थान के उपचुनावों में बीजेपी का रिकाॅर्ड बहुत ही खराब रहा है। पार्टी 2014 से अब तक हुए उपचुनाव में 80 प्रतिशत चुनाव हारी है। ऐसे में इस बार भी जीत की संभावना कम ही लग रही है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 24, 2024 10:31
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Rajasthan Assembly By Election Analysis
राजस्थान में विधानसभा के उपचुनाव बीजेपी की पहली परीक्षा

Rajasthan Assembly By Election Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद राजस्थान में भजनलाल सरकार की अगली बड़ी परीक्षा 5 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव है। ये पांच सीटें देवली-उनियारा, दौसा, खींवसर, चौरासी और झुंझुनूं हैं। इन पांच में से 3 सीटों पर कांग्रेस, एक पर RLP और एक पर BAP का कब्जा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में इन पांचों सीटों पर जीते विधायक अब सांसद बन चुके हैं। ऐसे में अब पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव बीजेपी की पहली बड़ी परीक्षा होगी। आइये जानते हैं क्या कहते हैं इन पांच सीटों के समीकरण:

देवली-उनियारा सीट

इस सीट से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब टोंक -सवाई माधोपुर से सांसद बन चुके हैं। इस सीट पर हुए पिछले 3 में से 2 चुनाव में कांग्रेस विजयी हुई है। भाजपा ने इस बार के विधानसभा चुनाव में कर्नल किरोड़ी बैंसला के बेटे विजय बैंसला को प्रत्याशी बनाया था। इस सीट पर गुर्जर वोटों की अधिकता के बावजूद कांग्रेस इस सीट पर जीत रही है। वजह है मीणा वोटर्स। बीजेपी मीणाओं को नहीं साध पा रही है। जबकि गुर्जर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों का कोर वोट बैंक है। ऐसे में गुर्जर वोटों का बंटवारा हो जाता है। मुस्लिम और दलित वोटर्स का काॅम्बिनेशन भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाते हैं। ऐसे में इस सीट पर कांगेस की जीत तय मानी जा रही है। यह सीट बीजेपी की ए कैटेगरी में शामिल है। जोकि उसके लिए मुश्किल सीटों में से एक हैं।

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झुंझुनूं

इस सीट पर सचिन पायलट के भरोसेमंद और दिग्गज ओला परिवार के बृजेंद्र ओला ने यहां जीत दर्ज की थी। जाट वोटर्स की बहुलता के कारण यहां हमेशा से जाट ही विधायक बनते आए हैं। हालांकि सामान्य वर्ग और ओबीसी वोटर्स यहां जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसा नहीं है कि जाट वोटर्स केवल कांग्रेस को ही वोट करते हैं वे बीजेपी को भी वोट देते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग में राजपूत और ब्राहाण वोटर्स अहम भूमिका निभाते हैं। यहां के लोग पार्टी देखकर नहीं कैडिंडेट देखकर वोट देते हैं। लोकसभा चुनाव में जाट वर्सेज राजपूत वाली स्थिति के कारण यहां पार्टी को हार मिली।

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दौसा

दौसा से दो बार के कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा इस बार इस सीट से लोकसभा सांसद चुने गए हैं। ऐसे में अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं। दौसा में गुर्जर, मीणा और मुस्लिम वोर्टस अच्छी खासी तादाद में है। इसके अलावा बीजेपी के मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का भी इस क्षेत्र में प्रभुत्व है। गुर्जर वोट सचिन पायलट के कारण कांग्रेस को मिलते हैं। वहीं कुछ हिस्सा बीजेपी को भी जाता है। मीणा वोटर्स में भी यहां पर बंटवारा होता है। ऐसे में मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले 10 साल से यहां पर बीजेपी का सांसद रहा है, लेकिन इस बार बीजेपी के कन्हैयालाल मीणा 1 लाख के भारी अंतर से चुनाव हार गए। यह सीट भी बीजेपी के ए कैटेगरी की सीट में शामिल है।

खींवसर

जाट और मुस्लिम बाहुल्य वोटर्स वाली यह सीट बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं क्योंकि इस सीट पर रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल का प्रभुत्व है। हनुमान बेनीवाल खींवसर से कई बार विधायक रह चुके हैं। वे 2023 के चुनाव में भी खींवसर से मामूली अंतर से जीतकर विधायक बने थे। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिली थी। हालांकि उनके लिए इस बार यह राह आसान नहीं रहने वाली है। 2019 के चुनाव में उन्होंने सांसद बनने के बाद अपने भाई नारायण बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया था लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ और है।

चौरासी

आदिवासी बाहुल बांसवाड़ा जिले की यह सीट अभी क्षेत्रीय पार्टी बीएपी के कब्जे में है। इस सीट से राजकुमार रोत विधायक चुने गए थे। वे दो बार से इस सीट से विधायक रह चुके हैं। फिलहाल वे बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से बीएपी के सांसद चुने गए हैं। उन्हें आदिवासियों का भरपुर समर्थन हासिल है। इसी सीट पर भी बीएपी के प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है।

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उपचुनावों का रिकाॅर्ड

पिछले कई उपचुनाव में बीजेपी का रिकाॅर्ड काफी खराब रहा है। 2014 से 2019 तक विधानसभा की 6 सीटों के उपचुनाव हुए। इनमें से 4 पर कांग्रेस और 2 पर भाजपा को जीत मिली। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता मिली। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। ऐसा ही हाल कुछ 2013 का था। इस चुनाव में बीजेपी को 200 में से 163 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन उपचुनाव में पार्टी एक बार फिसड्डी साबित हुई। 2018 से लेकर 2023 तक 9 सीटों पर उपचुनाव हुए थे इनमें से 7 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी की जीत हुई।

HISTORY

Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jun 24, 2024 10:31 AM

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