के जे श्रीवत्सन की रिपोर्ट
Rajasthan Lok Sabha Election 2024 Ajmer Seat Political Equations: सम्राट पृथ्वी राज चौहान की राजधानी और अपने तारागढ़ किले के लिए प्रसिद्ध अजमेर को अपना स्थायी राजनीतिक गढ़ बनाकर रखना कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ही अब तक महज एक सपना ही रहा है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और उससे महज 18 किलोमीटर दूर पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा की नगरी के साथ 12 वीं शताब्दी में बनाए गये कृत्रिम आनासागर झील वाला अजमेर यूं तो सामान्य वर्ग की सीट है, लेकिन यहां पर मुस्लिम गुज्जर और जाट वोटों का असर प्रत्याशियों की जीत-हार पर हमेशा ही नजर आता है। इस बार बीजेपी ने यहां से अपने वर्तमान सांसद भागीरथ चौधरी को ही टिकट देकर मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने यहां फिर से प्रयोग करते हुए रामचंद्र चौधरी को टिकट दिया है। साल 2009 में सचिन पायलट भी यहां से करीब 78 हार वोटों से चुनाव जीत कर संसद में जा चुके हैं।
‘अंडों की टोकरी’ में किसे मिलेगी जीत?
बीजेपी के भागीरथ चौधरी यहां से दो बार के सांसद रह चुके हैं, लेकिन पार्टी ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें किशनगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ाया था। मोदी लहर में चुनाव जीतने वाले भागीरथ चौधरी विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सके, जिसके बाद कहा जा रहा था कि पार्टी उनकी बजाय इस बार नए चेहरे पर दांव खेलेगी, लेकिन राजनीतिक और जातीय समीकरणों के साथ गुटबाजी को थामने के लिए फिर से उन्हें मैदान में उतारा गया। अजमेर में सबसे ज्यादा पोल्ट्री फार्म होने के चलते उसे ‘एग बास्केट’ यानी अंडों की टोकरी के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि यहीं पर शाहजहां की संतान जहांआरा बेगम और दारा शिकोह का जन्म हुआ था।
#WATCH | Rajasthan: On his candidature from Ajmer Lok Sabha seat, BJP candidate Bhagirath Choudhary says, "I thank the central, state leadership & people of Ajmer…I will work together with the people & the party workers…" (24.03) pic.twitter.com/ECQz006uYp
---विज्ञापन---— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) March 25, 2024
बीजेपी की चिंताएं
विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी बीजेपी ने अजमेर की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर जीत दर्ज की थी, जिसके बाद यहां से जीतने वाले वासुदेव देवनानी को विधानसभा अध्यक्ष और पुष्कर से जीतने वाले सुरेश रावत को भजनलाल सरकार में मंत्री बनाया गया, लेकिन यहां की किशनगढ़ सीट पर बीजेपी का विजयी रथ विधानसभा चुनाव में थम गया। अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने 3 महीने पहले जब विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब वे तीसरे नंबर पर आये थे। ऐसे में तब से ना केवल उनकी, बल्कि समूची बीजेपी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। खुश किस्मत रहे कि टिकट तो उनका कटने से बच गया, लेकिन पार्टी के ही नाराज और बागी लोगों को साथ लेकर फिर से सांसद में पहुंचना जरा मुश्किल हो गया है। कार्यकार्ताओं को भी इस मनोस्थिति से निकालना होगा कि विधानसभा चुनाव नहीं जीतने वाला कैसे लोकसभा चुनावों में छाप छोड़ेगा।
कांग्रेस की उम्मीद
एक तो अजमेर से सचिन पायलट और रघु शर्मा जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता संसद जा चुके हैं। ऐसे में उनकी छवि और वोट बैंक के साथ किशनगढ़ से बीजेपी को जोरदार पटखनी देने वाले युवा नेता विकास चौधरी की दमखम के भरोसे अजमेर डेयरी के चेयरमैन रामचंद्र चौधरी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। डेयरी के कई सालों से लगातार चेयरमैन होने के नाते ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं से भी उनकी अच्छी खासी पहचान है, लेकिन वोट बैंक में तब्दील कर पायेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।
#WATCH | Rajasthan: On his candidature from Ajmer constituency, Congress leader Ramchandra Choudhary says, "I would like to thank the high command and central Congress leadership for giving this opportunity. I will try to live up to their expectations." pic.twitter.com/iFPgbcqlft
— ANI (@ANI) March 25, 2024
सीट का सियासी समीकरण
अजमेर जनरल कैटेगरी की सीट है। जयपुर का कुछ हिस्सा भी इसमें शामिल है। यहां 8 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें दुदू, किशनगढ़, पुष्कर, नसीराबाद अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ, मसुदा और केकड़ी सीट शामिल है। चुनाव चाहे कोई भी हो, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर रही है। मोदी लहर के चलते पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी का ही यहां बोलबाला रहा है। हालांकि, साल 2018 के उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा को विजय मिली थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है।
जातिगत समीकरण
अजमेर सीट पर जाट समुदाय की आबादी 16 से 17 फीसदी है, जो कि एकमुश्त वोट करते हैं। यही कारण है कि इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही जाट प्रत्याशी को यहां से उतारते हुए वोटों का बंटवारा कर दिया है। अजमेर में एससी/एसटी की आबादी लगभग 23 फीसदी है। इसी तरह करीब 13 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जिसमें से 9 फीसदी वोटर्स हैं। साथ ही, राजपूत और वैश्य भी प्रत्याशी की हार-जीत में बड़ा असर रखते हैं। अजमेर में 12 फीसदी गुज्जर, करीब 21 फीसदी जैन, 6.40 फीसदी राजपूत और 10 फीसदी रावत मतदाता भी है।
36 कौम मेरा परिवार,
मैं हूँ मोदी का परिवार।#Ajmer #Kishangarh#BhagirathChoudhary#BjpRajasthan#AbkiBar400Par#FhirEkBarModiSarkar#काम_किया_दिल_से_भागीरथ_चौधरी_फिर_से pic.twitter.com/NUS5mlb2w9— Bhagirath Choudhary ( Modi Ka Parivar ) (@mpbhagirathbjp) March 25, 2024
चुनावी गणित
कांग्रेस और बीजेपी ने जाट समाज का प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में यह वोट बैंक बंटना तय है। ऐसे में दलितों और गुज्जरों के अलावा मुस्लिम वोटरों का साथ जिस भी पार्टी को मिलेगा, उस प्रत्याशी का पलड़ा मजबूत रहेगा। पिछले 2 चुनावों में भी दलित और पिछड़ों का रुख बीजेपी की तरफ रहा था। ऐसे में सचिन पायलट के जरिये जाट प्रत्याशी गुर्जरों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी मोदी के 10 साल के शासन की उपलब्धियों के साथ अपने परंपरागत राजपूत, सिन्धी और ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूती से साथ रखे है।
चुनावी मुद्दे
आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच कई मुद्दे सालों से यहां की जनता के बीच बने हुए हैं। अजमेर धार्मिक पर्यटन, उद्योग, कृषि, व्यापार और अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला के चलते खनन वाला इलाका है और इन सबकी अपनी-अपनी उम्मीदें हैं। सबसे ज्यादा पेयजल और सिंचाई का मुद्दा हावी रहता है। पश्चिमी राजस्थान का यह हिस्सा आज भी प्यासा ही रहता है। जयपुर और टोंक को पेयजल देने वाले बीसलपुर से उसके हिस्से का कम पानी मिलना यहां के लोगों की नाराजगी का बड़ा कारण है।
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सीवरेज की समस्या
ऐतिहासिक शहर होने के चलते अजमेर में सीवरेज की समस्या सालों पुरानी है। अजमेर को देश के 100 स्मार्ट सिटी में तो शामिल कर लिया गया, लेकिन अजमेर में उस लिहाज से कहीं विकास नज़र नहीं आ रहा। रेलवे और हाईवे में भी विकास की मांग पुरानी है। अजमेर से पुष्कर के बीच ट्रेन है, लेकिन पुष्कर-मेड़ता रेल मार्ग नहीं होने के कारण इस ट्रेन का फायदा लोगों को ज्यादा नहीं मिल पा रहा है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और कर्मचारी चयन बोर्ड का मुख्यालय यहीं है, लेकिन उच्च शिक्षा को लेकर अजमेर में कोई काम नहीं हुआ है।
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पुष्कर में गंदे पानी से श्रद्धालु परेशान
पुष्कर में विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा सहित सेकड़ों प्राचीन और धार्मिक मान्यताओं वाले मंदिर और पवित्र पुष्कर सरोवर है। इसके बावजूद पुष्कर विकास में काफी पीछे है। पुष्कर के पवित्र सरोवर में गंदे पानी से श्रद्धालुओं के धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचती है. काशी और उज्जैन की तरह कॉरिडोर बनाने की मांग लगातार उठ रही है।
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