राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था अक्सर सवालों के घेरे में रहती है। कभी बच्चों के रिज़ल्ट, कभी शिक्षकों की कमी और कभी अधिकारियों की फाइलों में धूल खा रहे मामले होते हैं, लेकिन इस बार शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने सुर्खियों में जगह बना ली।
मंत्री ने विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि जो अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार, स्कूलों में अश्लीलता और घटिया निर्माण जैसे एसीबी के मामलों में दोषी पाए जाएंगे। उनके घरों की दीवारों पर सरकारी जांच रिपोर्ट चस्पा की जाएगी। ताकि उनके परिवार को भी उनकी करतूतों का आईना दिख सके। कल तक मोहल्ले में जहां ऐसे लापरवाह सरकारी कर्मचारियों के घर की दीवार पर ‘ट्यूशन क्लासेस’ और ‘कमरे खाली हैं’ लिखा दिखता था, लेकिन अब वहां लिखा होगा कि इस घर का मालिक भ्रष्टाचार के मामले में जांच के घेरे में है।
आज शिक्षा संकुल, जयपुर में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभिन्न विषयों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की।
बैठक में लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण कर पारदर्शिता सुनिश्चित करने, प्रतिनियुक्ति पूर्ण कर चुके अधिकारियों को वापस बुलाने तथा अतिशीघ्र स्टाफिंग पैटर्न पूर्ण करने… pic.twitter.com/nq25UEpZ9X---विज्ञापन---— Madan Dilawar (@madandilawar) August 19, 2025
फरमान सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई नहीं- शिक्षा मंत्री
खुद मंत्री के अनुसार, यह फरमान महज प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है। यह ‘लोकलाज की सजा’ है। मंत्री के मुताबिक, जब घरवाले और पड़ोसी जानेंगे कि उनके अपनों ने शिक्षा जैसे पवित्र विभाग को दागदार किया है। फिर यह दबाव भ्रष्टाचारियों को रोक सकता है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भ्रष्टाचार दीवारों पर चिपकी चिट्ठियों से रुक जाएगी।
क्योंकि राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था की हालत खुद बताती है कि किताबों से ज्यादा भ्रष्टाचार मजबूत है। अब देखना होगा कि क्या यह नया प्रयोग वाकई बदलाव लाएगा या यह भी एक और “फरमान” बनकर दीवारों पर सिमटकर रह जाएगा।
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