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कांग्रेस MLAs हार के लिए नहीं मानते अकेले गहलोत को दोषी; …तो फिर किसने बिगाड़ा खेल?
Rajasthan Congress MLAs Support Ashok Gehlot : देश के पांच में से तीन राज्यों में हार को लेकर राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन हाल ही में चुनकर आए पार्टी के कई विधायक अकेले गहलोत को इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानते।
Edited By : Balraj Singh | Updated: Dec 6, 2023 00:55
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जयपुर : देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व में मंथन में का दौर जारी है। इसी बीच मंगलवार को राजस्थान के राजधानी नगर जयपुर में पार्टी के निर्वाचित विधायकों की बैठक हुई। इसमें पार्टी के पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक और मधुसूदन मिस्त्री ने एक-एक विधायक के साथ बात की और नेता प्रतिपक्ष का फैसला हाईकमान पर छोड़े जाने का प्रस्ताव पारित किया। इसमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के अलावा सभी विधायक शामिल हुए। खास बात यह है कि पार्टी नेतृत्व इस हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार नहीं मानता। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर पार्टी का खेल बिगाड़ा किसने? इस पर न्यूज 24 के साथ बात करते हुए राजस्थान के 6 कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि इस हार के लिए अकेले गहलोत दोषी नहीं है। बागियों ने भी खेल बिगाड़ा है। पार्टी हाईकमान ने युवाओं को मौका दिया होता तो नतीजे और बेहतर रहे होते। जानें किसने क्या कहा…?
आज दिनांक 05 दिसम्बर, 2023 को प्रातः 11:00 बजे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय, इंदिरा गांधी भवन – स्टेशन रोड़, जयपुर में कांग्रेस पार्टी के नव निर्वाचित विधायक दल की बैठक संपन्न हुई। pic.twitter.com/c8b6mDVZ2d
विजेंद्र सिंह ओला बोले-खानापूर्ति नहीं, ईमानदारी से समीक्षा हो
विधायक विजेंद्र सिंह ओला ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि रिवाज बदलेगा, लेकिन नहीं बदला इस पर हमें समीक्षा करनी चाहिए। बिना किसी लाग-लपेट के…क्यों हम दोबारा सत्ता में नहीं आ सके। बिखरी हुई तो बीजेपी भी बहुत ही थी, लेकिन प्रजातंत्र में जो जीता वही सिकंदर, लेकिन हमें सोचना चाहिए कि हम क्यों हारे। हमारा वोट बैंक कैसे वहां शिफ्ट हो गया हमें तो और भी वोट बैंक बढ़ने की आशा थी, लेकिन नहीं बढ़ा पाए इसी पर मंथन जरूरी है।
सचिन पायलट को पीसीसी अध्यक्ष बनाए जाने के सवाल पर उन्हाेंने कहा कि निश्चित तौर पर ऐसा होना चाहिए। लोकसभा चुनाव के लिए यह जरूरी भी है, क्योंकि इस वक्त कार्यकर्ताओं में हर तरफ से निराशा है। उसे जो नेता दूर कर सके उन्हें आगे लाना चाहिए। पार्टी को यह समीक्षा करनी चाहिए। केवल आईवॉश नहीं होना चाहिए। वैसे समीक्षा के बाद ही पता लगेगा हार की वजह क्या रही।
विधायक अशोक चांदना का मानना-नहीं हुआ गुर्जरों का मोह भंग
विधायक अशोक चांदना की मानें तो सर्वे कह रहे थे 80-90 से 100 तक सीट आएगी। उम्मीद 110 की थी। हकीकत में 10-15 सीट तो हम 300 से से भी कम वोटो से हार गए। हालांकि सरकार ने बहुत काम किया। जमीन पर नज़र भी आया। हाड़ोती और शेखावाटी में बीजेपी के खाते भी नहीं खुले हैं यही कारण था। सरकार ने अच्छा काम किया तभी तो जनता ने वोट दिया, कुछ जगहों पर निर्दलीय खड़े हुए, जातिगत समीकरण बिगड़ उनका भी हार पर असर रहा।
उधर, गुर्जर समाज के कांग्रेस से मोह भंग के सवाल पर अशोक चांदना बोले, ‘कैसे कह सकते हैं कि गुर्जर समाज के वोट कांग्रेस के पक्ष में नहीं पड़े ऐसा परसेप्शन बनाना गलत है। राजस्थान में जातिगत राजनीति मजबूत है।जातिगत समीकरण इंर्पोटेंट फैक्टर है, लेकिन एंटी कांग्रेस कैंपेन चलाकर सही चेहरा नहीं दिखाया जा रहा है। यदि गुर्जर वोट नहीं देते तो मैं कैसे जीत कर आता। सचिन पायलट कैसे जीतते। गुर्जरों ने कांग्रेस को जमकर वोट दिया है विधानसभा के डेटा उठाकर देख लो। कहीं हम 19 नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जीतने में सब पटाखे साथ फोड़ते हैं-हार पर ठीकरा फोड़ देते हैं। ऐसे में अशोक गहलोत अकेले को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। सबको जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हमने ही ईमानदारी से प्रयास नहीं किए थे जीत के लिए।
सीकर के विधायक राजेंद्र पारीक बोले-गहलोत को जिम्मेदार बताने वाले अवसाद से ग्रसित
मैं सीकर की जनता का आभारी हूं,पार्टी का आभारी हूं जनता का फैसला sweekar करना चाहिए. नुक्ता चीनी नहीं निकालनी चाहिए गारंतियाँ क्यों फेल हो गई ,क्यों फायदा नहीं मिला। यह सब बात की बातें हैं। यह भी गलत है कि पायलट साहब और अशोक गहलोत चुनाव में साथ नहीं खड़े थे। जिसे कांग्रेस से प्यार है सब साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं।जब सबको साथ लेकर चले तब भी कई बार परिणाम विपरीत भी आए और साथ है तब भी नतीजा रहे ऐसे में इस पर चर्चा ना हो तो ठीक है। 2024 की चुनौती हमेशा बड़ी है। आज कैसे प्रिडिक्ट कर सकते हैं कि उस वक्त क्या होगा। हिंदुस्तान और राजस्थान की जनता का मूड भांपना किसी के बस की बात नहीं है। जनता अपना फैसला जब बूथ पर जाती है तभी सुनाती है। 2024 के सुखद के परिणाम होंगे।
गहलोत साहब को हार का जिम्मेदार ठहराए जाने के सवाल पर बोले। ये लोग वो नेता है जो हकीकत से रूबरू नहीं है।मानसिक अवसाद से ग्रसित है। नुक्ता-चीनी का अधिकार उन्हें किसने दिया? वो जीतकर नहीं आए तो आरोप लगा रहे हैं। मैंने 8 में से 6 चुनाव जीते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि किसी ने मुझे जीता दिया, किसी ने हरा दिया। हारना जितना जितना जातिगत और राजनैतिक समीकरणों पर तय होता है। मुझ में स्वयं में कई गलतियां थी मैं चुनाव हारा था, लेकिन अब जीतकर आया।
विधायक अमीन कागजी ने कहा-सौहार्द्र ही बनाया है पांच साल में
किशनपोल के विधायक अमीन कागजी ने बताया कि मोदी जी ने उनके क्षेत्र में रोड शो किया, लेकिन बावजूद इसके मैजोरिटी के 15 हजार लोगों ने उन्हें वोट दिया है। भाजपा विधायक बाल मुकुंदाचार्य की धमकी पर किसी भी जन प्रतिनिधि को इतना उतावला होने की जरूरत नहीं है। धैर्य से काम लेना चाहिए। सरकार बनी है अभी उनकी। शहर में बेचैनी ना बढ़ाएं। 5 साल तो हमारे सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाने में ही निकले हैं। सब मिल-जुलकर चुनाव लड़े हैं। हार-जीत तो होती ही रहती है।
Statement issued by Congress President Shri @kharge on the State Legislative Assembly election results 2023 pic.twitter.com/FvSMO9PJQa
युवाओं को ज्यादा टिकट देते तो नतीजे बेहतर होते: मनीष यादव
शाहपुरा की सीट पर जहां भाजपा उम्मीदवार की जमानत ही जब्त हो गई, वहां के कांग्रेसी विधायक मनीष यादव ने न्यूज 24 के साथ बात करते हुए कहा कि मेरे इलाके में बीजेपी को केवल 5 फ़ीसदी वोट मिले हैं। सबसे कम वोट राजस्थान में मेरे इलाके से ही बीजेपी को मिले हैं। क्षेत्र की जनता का इसके लिए आभार है। जहां तक कांग्रेस की हार की वजह की बात है, इस पर मनीष ने हाईकमान को मंथन करने की सलाह दी है। मनीष यादव के अनुसार यह जरूरी है, क्योंकि 5 महीने बाद लोकसभा के चुनाव भी है। इसी के साथ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि नौजवानों को और मौका दिया जाता तो बेहतर परिणाम मिलते। मैं यह मानता हूं कि साल 2018 में निर्दलिय जीतकर आने वाले विधायकों को थोड़ी ज्यादा खुली छूट दे दी गई थी, जिससे जनता और कांग्रेस नेता प्रताड़ित रहे थे। उन्होंने सरकार का दुरुपयोग किया था। कई जगह निर्दलीयों को इस बार विरोध के बावजूद भी टिकट वापस दे दिया। इसके कारण आसपास के इलाके पर भी कांग्रेस की जीत पर असर हुआ हमें हार मिली, वरना अच्छे परिणाम आते।
सचिन पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने के सवाल पर विधायक मनीष यादव ने नौजवानों की प्रासंगिकता राजस्थान में बढ़ गई है। जहां-जहां नौजवान चुनाव लड़े हुए चुनाव जीते भी हैं नौजवानों को नेतृत्व दिया जाना ही चाहिए, ताकि कांग्रेस पार्टी फिर से मजबूती से खड़ी हो। इसका लाभ पार्टी और कार्यकर्ताओं को सबको मिलेगा।
इसके अलावा गहलोत को हार का जिम्मेदार बताए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, मैं इतना बड़ा नेता नहीं हूं। हाई कमान विचार करें, लेकिन इतना कहूंगा कि मंथन चिंतन जरूरी है,क्योंकि कार्यकर्ता 5 साल संघर्ष करते रहे 5 साल तक यह दरकिनार रहे फिर भी हम कांग्रेस पार्टी के साथ मजबूती से डटे रहे। सारी चीजों पर विचार मंथन होना चाहिए सभी बातें जांच के विषय में होगी’।
टीकाराम जूली ने कहा-कोई एंटी इनकम्बेंसी नहीं
गहलोत के चुनिंदा मंत्रियों में जीतकर आने वाले टीकाराम जूली का कहना है कि कोई एंटी इनकम्बेंसी नहीं थी। वह जनता के बीच रहे तो जीतकर आए। हालांकि उनके कई साथी मंत्री चुनाव हार गए, लेकिन उनके क्षेत्र की जनता ने उन पर विश्वास किया और बड़ी जीत दिलाई। जनता के बीच में आप रहते हैं तो जनता आपका ध्यान रखती है। आल में आपका व्यवहार, आपका काम, सरकार की योजनाएं और लोकल मुद्दे ही हैं, जिनके आधार पर चुनाव लड़ा जाता है। कौन निदलीय या बाग़ी लड़ रहा है। इस पर निर्भर करता है। हो सकता है कि व्यक्ति विशेष के प्रति एंटी इनकंबेंसी रही हो, जो हार की वजह बनी, लेकिन सरकार के खिलाफ कहीं एंटी इनकमबेंसी नहीं रही। जब 70 सीट हमें मिली तो इसका मतलब यह है कि अशोक गहलोत के कारण ही मिली। केवल हार की वजह उन्हें नहीं बताया जा सकता सरकार की अच्छी योजनाएं रही।