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Bhilwara News: महिला सशक्तीकरण की अभिनव पहल, मनरेगा में महिलाएं कर रही मेट का नियोजन

Bhilwara News: ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2005 में देश भर में प्रारंभ की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) उपयोगी साबित हो रही है। राजस्थान में भी यह योजना पूरी तरह सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में वर्ष 2022-23 में लगातार चौथे वर्ष […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 5, 2023 15:34
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Bhilwara News: ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2005 में देश भर में प्रारंभ की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) उपयोगी साबित हो रही है। राजस्थान में भी यह योजना पूरी तरह सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में वर्ष 2022-23 में लगातार चौथे वर्ष राजस्थान मनरेगा के तहत व्यक्ति दिवस सृजन में शीर्ष पर रहा। जबकि 100 दिन का काम पूरा करने वाले परिवारों की संख्या के मामले में राजस्थान तीसरे नंबर पर है।

भीलवाड़ा जिले ने किया नवाचार

भीलवाड़ा जिले ने मनरेगा के तहत नवाचार करते हुए एक अभिनव पहल की है। भीलवाड़ा प्रदेश का पहला ऐसा जिला बन गया है जहां मनरेगा की सौ प्रतिशत मेट महिलाएं हैं। इस पहल के तहत गांव की पढ़ी-लिखी महिलाओं को मेट बनाया गया है। जिले में वर्तमान में लगभग छः हजार से अधिक महिलाएं मेट के रूप में काम कर रही हैं।

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मात्र 40 दिनों में शत-प्रतिशत महिला मेट को किया नियोजित

महिला श्रमिकों की संख्या और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर जिले में शत-प्रतिशत महिला मेट को नियोजित करने का निर्णय लिया गया। जिला कलेक्टर आशीष मोदी बताते हैं कि पहली बार इतने बड़े पैमाने पर महिलाओं को मेट के पद पर लगाया जाना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन जिला प्रशासन ने इस चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया। जब इस नवाचार को आगे बढ़ाने का काम शुरू हुआ तब जिले में लगभग 62 प्रतिशत महिलाएं मेट के रूप में कार्य कर रही थीं।

इसमें सबसे अधिक 100 प्रतिशत महिला मेट करेड़ा में जबकि सबसे कम 26 प्रतिशत महिला मेट कोटड़ी में थीं। लेकिन 40 दिनों में ही यह आंकड़ा 100 प्रतिशत तक पहुंच गया और जिले में शत-प्रतिशत महिला मेट ने काम करना शुरू कर दिया।

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महिलाएं हो रही हैं सशक्त और आत्मनिर्भर

महिला मेट नियुक्त किए जाने का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना तो था ही साथ ही योजना के तहत चल रहे कार्यों में पारदर्शिता लाना भी इसका मुख्य उद्देश्य था। जिले में नरेगा में 90 प्रतिशत श्रमिक महिलाएं थीं और पुरुष उनकी मानिटरिंग का काम करते थे।

महिलाएं पुरुषों से अपनी बात कहने में संकोच का अनुभव करती थीं। ऐसे में उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता था। यह अनुभव किया गया कि अगर मेट भी एक महिला हो तो न केवल महिला श्रमिक अपनी समस्या खुलकर उनसे बता सकती है बल्कि उनकी समस्या का समाधान भी आसानी से और जल्दी निकल सकता है।

कार्यस्थलों को बनाया सुविधाजनक

अब मनरेगा कार्यस्थलों पर महिलाओं की समस्याओं पर खुलकर बात होती है। उनका समाधान भी तेजी से होता है। इसी का एक उदाहरण है मनरेगा साइट पर विशेष स्विस टेंट की व्यवस्था करवाना। जिन महिलाओं के बच्चे छोटे हैं उन्हें धूप के कारण पहले बच्चों को घर पर छोड़ कर आना पड़ता था। इससे उनके बच्चों के साथ-साथ उन्हें भी परेशानी होती थी।

काम में उनका मन भी कम लगता था। इस समस्या को दूर करने के लिए कार्य स्थल पर ही विशेष स्विस टेंट की व्यवस्था की गई। अब महिलाएं अपने बच्चों को साथ ला सकती हैं जिससे बच्चे उनकी नजरों के सामने रहते हैं और वे अपने काम के साथ-साथ उनकी देखभाल भी कर लेती हैं। इसके साथ ही मनरेगाकर्मियों के लिए भी कार्य स्थल पर पीने के पानी, छाया, क्रेच, मेडिकल किट,साबुन, सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था की गई है।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jun 05, 2023 03:34 PM

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