राजस्थान की अरावली पर्वतमाला को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस पर सीधा और तीखा हमला बोला है. मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि अरावली पर कांग्रेस का रिकॉर्ड खुद उसके आरोपों की पोल खोल देता है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा, “मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि अरावली को लेकर किस तरह की बातें की जा रही हैं, पहले गहलोत साहब अपने कागज़ात देखें. अपने कर्मों को देखें. 2002-03 में आपने अरावली की क्या परिभाषा तय की और 2009-10 में आपने उसमें क्या बदलाव कि यह सब रिकॉर्ड में दर्ज है.”
‘हम गिरिराज जी के भक्त हैं’श्रद्धा और संरक्षण का दावा
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “हम गिरिराज जी के भक्त हैं, गिरिराज जी को पूजते हैं. इसलिए अरावली या ब्रज क्षेत्र के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस चिंता न करे.”
साधु-संतों के आंदोलन का हवाला
भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस सरकारों पर साधु-संतों की अनदेखी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि “551 दिन तक हमारे साधु-संत धरने पर बैठे रहे. विजयादास बाबा, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई, उनकी आवाज़ को भी कांग्रेस सरकार ने नहीं सुना. तब आपने कुछ नहीं किया.”
खनन के खिलाफ पुराने संघर्ष का जिक्र
मुख्यमंत्री ने बीजेपी और अपने राजनीतिक परिवार की भूमिका गिनाते हुए कहा कि “2005 में जब ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र में खनन हो रहा था, तब हमने उसका विरोध किया और वहां की लीज़ें रद्द करवाईं. हमारी प्रतिबद्धता जमीन पर दिखाई देती है.”
स्पष्ट संदेश-अरावली से कोई समझौता नहीं
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दो टूक कहा,“मैं आपके माध्यम से साफ़ कहना चाहता हूं कि अरावली के साथ किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.”
कांग्रेस पर ‘झूठ और भ्रम’ फैलाने का आरोप
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा,“ये कांग्रेस के लोग लूट और झूठ की राजनीति करते हैं. इनके पास जमीन पर कुछ बचा नहीं है, इसलिए ये अफवाहें फैलाकर लोगों को बहकाना चाहते हैं.”
बहरहाल, अरावली को लेकर एक तरफ कांग्रेस सरकार पर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के आरोप लगा रही है, तो वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कांग्रेस के पुराने फैसलों और नीतियों को सामने रखकर पलटवार कर रहे हैं. साफ है कि अरावली केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि राजस्थान की राजनीति का बड़ा रणक्षेत्र बन चुकी है.










