जयपुर: राज्य के शहरी क्षेत्रों के परिवारों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय एवं बेरोजगार परिवारों को आर्थिक सम्बल प्रदान करने के लिए मनरेगा की तर्ज पर बजट घोषणा के अनुरूप शहरों में भी अब रोजगार सुनिश्चित करने के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू की जा रही है। इस योजना से शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले परिवारों को भी जीवनयापन करने में मदद मिलेगी।
इस योजना के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में मनरेगा की तर्ज पर मांगे जाने वाले काम पर 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जाएगा। इस योजना के संचालन के लिए 800 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे।
जॉब कार्ड से मिलेगा रोजगार
इस योजना का कार्यवन्त नगर निकाय की निगरानी में किया जायेगा। इंदिरा गाँधी शहरी रोजगार गारंटी के अंतर्गत 2 लाख से अधिक परिवारों के 3 लाख से से ज़्यादा जॉब कार्ड जारी किये जा चुके है। इन जॉब कार्ड के माध्यम से बेरोजगार नागरिको को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा।
भुगतान सीधे जॉब कार्डधारी के खाते में जाएगा
पारिश्रमिक का भुगतान सीधे जॉब कार्डधारी के खाते में जाएगा। योजना के लिए हाल ही में 2561 विभिन्न पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती प्रक्रिया की जा रही है। योजना के लिये सभी निकायों के संबंधित कार्मिकों और ई-मित्र संचालकों का प्रशिक्षण भी दिया गया है। योजना में श्रम और सामग्री का अनुपात निकाय स्तर पर 75:25 में निर्धारित किया गया है।
शहरी क्षेत्र के बेरोजगारों को मिलेगा संबल
उल्लेखनीय है कि इस योजना को अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा था, लेकिन अब इस योजना को शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले नागरिकों के लिए भी कार्यान्वित किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों के नागरिकों को उनके निवास क्षेत्र के पास रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। जिससे कि शहरी परिवारों को संबल प्रदान हो सके। यह योजना शहरी क्षेत्र के बेरोजगार नागरिकों को रोजगार प्रदान करने में कारगर साबित होगी। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।
18 से 60 साल के अकुशल श्रमिक करेंगे काम
सरकार के मुताबिक योजना के जरिए अधिक से अधिक नौकरियां प्रदान करने पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें सामान्य प्रकृति के कार्य अकुशल श्रमिक करेंगे। वहीं 18 से 60 साल की उम्र के सभी और शहरी निकाय सीमा के भीतर रहने वाले लोग योजना के लिए पात्र माने जाएंगे। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों जैसे कि महामारी या आपदा में, प्रवासी मजदूरों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।