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गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स यूनियन मांग-शिक्षा नीति 2020 को रद्द कर 1968 की पॉलिसी की जाए लागू

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में बुधवार को गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स यूनियन की एक बैठक हुई। इस बैठक में पंजाब में नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द कर 1968 की शिक्षा नीति को कुछ सुधारों के साथ लागू करने की मांग की गई। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों का रुतबा बहाल करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर पैदा करने […]

Edited By : Balraj Singh | Updated: Sep 6, 2023 19:50
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चंडीगढ़: चंडीगढ़ में बुधवार को गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स यूनियन की एक बैठक हुई। इस बैठक में पंजाब में नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द कर 1968 की शिक्षा नीति को कुछ सुधारों के साथ लागू करने की मांग की गई। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों का रुतबा बहाल करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर पैदा करने के मुद्दे पर लुधियाना के परवीन कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस चर्चा में यूनियन के राज्य संरक्षक चरण सिंह सराभा, धर्म सिंह मलूद, बलजिंदर सिंह बरकलां, परमिंदर पाल सिंह कालिया भी शामिल रहे।

इस अवसर पर संगठन के राज्य संरक्षक चरण सिंह सराभा, महासचिव परवीन कुमार, जिला अध्यक्ष परमिंदर पाल सिंह कालिया, प्रेस सचिव तहल सिंह सराभा ने कहा कि 1990-91 तक भारत में आई नवउदारवादी आर्थिक नीतियों ने प्रभावित किया है। शिक्षण व्यवसाय, शिक्षकों की स्थिति और शिक्षकों की सेवा शर्तों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इन उदार नीतियों के कारण ही शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर होने लगी है और वो पिछले कई वर्षों से संविदा पर ही काम कर रहे हैं। इन शिक्षकों को कई गुणा कम वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा शिक्षा प्रदाताओं, शिक्षा स्वयंसेवी शिक्षकों को सह शिक्षक बनाकर स्थाई शिक्षक के रूप में नियमित करने से विमुख कर दिया गया है और शिक्षक का दर्जा भी छीन लिया गया है। इस सबने गुणात्मक शिक्षा के प्रति सरकारों की गैर-गंभीरता को भी उजागर किया है।

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संगठन के नेताओं ने पंजाब सरकार से मांग की कि पंजाब के सरकारी स्कूलों में अनुबंध आधार पर कार्यरत सभी कच्चे अध्यापकों को विशेष कैडर बनाकर शिक्षा विभाग में पूरे वेतन के साथ नियमित किया जाए। कंप्यूटर शिक्षकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए, एनएस क्यूएफ शिक्षकों को शिक्षा विभाग में शामिल किया जाए। नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द कर 1968 की शिक्षा नीति बनाई जाए और अन्य महत्वपूर्ण परिवर्धन करके ऐसी नीति बनाई जाए, जिससे सभी स्तरों पर शिक्षा का निजीकरण और व्यावसायीकरण खत्म हो सके। इसके अलावा, शिक्षा नीति बनाते समय शिक्षकों और शिक्षक संगठनों के साथ भी चर्चा की जानी चाहिए, जैसा कि कोठारी शिक्षा आयोग और 1966 के पेरिस अंतर-देश सम्मेलन की सिफारिशों में कहा गया था।

इसके अलावा हर प्राथमिक विद्यालय में कक्षा के अनुसार पांच नियमित शिक्षक उपलब्ध कराए जाएं, माध्यमिक स्तर पर विषय के अनुसार शिक्षकों के पद दिए जाएं और नियमित भर्ती से भरे जाएं, सभी गैर शैक्षणिक कार्य और बीएलओ की ड्यूटी ली जाए। शिक्षकों को बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कटौती की जाए, जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के समूह के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।

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प्राथमिक एवं माध्यमिक विभागों के अंतर्गत विभिन्न श्रेणी के शिक्षकों की समुचित प्रोन्नति के आदेश शीघ्र जारी किये जायें। इस समय अन्य लोगों में शिक्षक नेता हरमिंदर सिंह संदीप कुमार बलजिंदर सिंह जिराख, परिंस कुमार, बूटा सिंह चरणजीत सिंह अमृतपाल सिंह बलवीर सिंह कंग, गुरमिंदर सिंह नवजोत सरमा जगदीप सिंह कमलदीप सिंह मनीष शर्मा, जोरा सिंह बस्सियां, कुलदीप सिंह ब्लॉक अध्यक्ष, परमजीत पक्खोवाल सिंह, नरेंद्रपाल सिंह बुर्ज लिट्टा, हरप्रीत सिंह, प्रदीप सिंह, दर्शन सिंह मोही, शिव प्रभाकर आदि नेता मौजूद रहे।

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Edited By

Balraj Singh

First published on: Sep 06, 2023 07:49 PM
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