Land Pooling Policy Latest Update: आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस ले ली है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से उन सभी फैसलों को वापस ले लिया गया है, जो लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर किए गए थे। एक प्रेस नोट जारी करके पॉलिसी वापस लेने की जानकारी मीडिया को दी गई है। बता दें कि शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए 27 शहरों और कस्बों में पॉलिसी लागू की गई थी।
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सरकार के फैसले पर आई प्रतिक्रियाएं
वहीं भगवंत मान सरकार द्वारा लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लिए जाने को लेकर शिरोमणी अकाली दल के उपप्रधान दलजीत सिंह चीमा की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने अपने X हैंडल पर ट्वीट में लिखा कि AAP की सरकार का लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लेने का फैसला पंजाब की जनता की जीत और शिरोमणि अकाली दल के विरोध प्रदर्शनों का नतीजा है।
जनता के मूड को भांपते हुए फैसला लिया गया है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल की टीम जानती थी कि पंजाबी इस लूट को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार ने अकाली दल के 2 सितंबर के मोर्चे के सामने ही घुटने टेक दिए हैं। बता दें कि भगंवत मान सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस नेता प्रगट सिंह ने भी अपने X हैंडल पर ट्वीट लिखा है।
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क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी?
बता दें कि पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 लुधियाना, मोहाली, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, संगरूर और बठिंडा समेत 27 शहरों में लागू की थी। यह पॉलिसी जमीनों के अधिग्रहण की बजाय सरकारी प्रोजेक्ट में किसानों की स्वैच्छिक भागीदारी पर आधारित है, जिसमें जमीन के मालिक अपनी जमीन को खुद अपनी मर्जी से पूल करते हैं और बदले में रेजिडेंशियल या कमर्शियल प्लॉट सरकार से हासिल करते हैं।
पॉलिसी के तहत पहले प्रति एकड़ 30000 रुपये सालाना मुआवजा मिलता था, जिसे संशोधन के बाद बढ़ाकर पहले 50000 रुपये किया गया था और अब 1 लाख रुपये कर दिया गया था। मुआवजे में हर साल 10% की वृद्धि होने का प्रावधान भी था। प्रति एकड़ जमीन के बदले 1000 वर्ग गज का रेजिडेंशियल या 200 वर्ग गज का कमर्शियल प्लॉट देने का प्रावधान पॉलिसी के तहत किया गया है। कुछ मामलों में दोनों प्लॉट भी मिल सकते हैं।
लैंड पूलिंग पॉलिसी का मकसद 14000 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों को रोकना और शहरीकरण को बढ़ावा देना है। पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट (PAPRA) 1995 के तहत कॉलोनियों के लाइसेंस रद्द करने का आदेश पॉलिसी के तहत दिया जाना था। पॉलिस में निजी डेवलपर्स या भू-माफिया द्वारा किए जाने वाले शोषण को रोकने के लिए उपाय किए गए हैं। 1 कनाल तक की जमीन के मालिकों को भी लाभ देने का प्रावधान है।
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