---विज्ञापन---

‘पहले शिवसेना को कमजोर किया, अब बारामती में दिवाली मनाई जा रही’, NCP पर BJP का आरोप

मुंबई: चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर रोक लगाने के बीच भाजपा नेताओं ने राकांपा पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को कमजोर करने में मौन भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। शनिवार को मुंबई में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Oct 10, 2022 12:27
Share :

मुंबई: चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर रोक लगाने के बीच भाजपा नेताओं ने राकांपा पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को कमजोर करने में मौन भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। शनिवार को मुंबई में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तर्क दिया कि शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ही शिवसेना की ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार थी।

अभी पढ़ें – Mulayam Singh Yadav Health Update: अभी भी नाजुक है मुलायम की तबीयत, जीवन रक्षक दवाओं का ही सहारा

---विज्ञापन---

बता दें कि इससे पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने टिप्पणी की थी कि वह चुनाव आयोग के आदेश से हैरान नहीं हैं। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एनसीपी एक बहुत ही प्रोफेशनल पार्टी है। इसने शिवसेना को बहुत अच्छी तरह से कमजोर किया। इसने इसे विभाजित करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि राकांपा उन सिद्धांतों के खिलाफ काम करती है, जिन पर शिवसेना को वोट देने वाले लोग विश्वास करते हैं।

रामकदम बोले- सुना है कि बारामती में पटाखे फोड़े जा रहे हैं

वहीं, भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि मैंने सुना है कि बारामती में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। दिवाली मनाई जा रही है। इसे दोस्त होने का नाटक करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा पीठ में छुरा घोंपना कहा जाता है। उद्धव साहब की भाषा में देशद्रोही।

---विज्ञापन---

रामकदम ने कहा कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी कांग्रेस या उसकी विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं करेगी। अगर उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, तो वह अपनी पार्टी को बंद कर देंगे, लेकिन हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ेंगे।

अभी पढ़ें Rajendra Pal Gautam: शपथ वाले विवाद के बाद दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दिया इस्तीफा

बता दें कि एनसीपी ने नवंबर 2019 में महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई, जबकि शिवसेना कई सीटों पर उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह करने वाले शिवसेना विधायकों की एक मुख्य शिकायत उनके और राकांपा विधायकों के साथ किए गए व्यवहार के बीच असमानता थी। शिंदे गुट के विधायकों ने यह भी दावा किया कि राकांपा विधायकों को उनके शिवसेना सहयोगियों के मुकाबले उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए10 गुना से अधिक फंड मिल रहा है।

अभी पढ़ें –  देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

HISTORY

Written By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Oct 09, 2022 08:14 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें