मुंबई: चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर रोक लगाने के बीच भाजपा नेताओं ने राकांपा पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को कमजोर करने में मौन भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। शनिवार को मुंबई में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तर्क दिया कि शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ही शिवसेना की ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार थी।
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बता दें कि इससे पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने टिप्पणी की थी कि वह चुनाव आयोग के आदेश से हैरान नहीं हैं। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एनसीपी एक बहुत ही प्रोफेशनल पार्टी है। इसने शिवसेना को बहुत अच्छी तरह से कमजोर किया। इसने इसे विभाजित करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि राकांपा उन सिद्धांतों के खिलाफ काम करती है, जिन पर शिवसेना को वोट देने वाले लोग विश्वास करते हैं।
रामकदम बोले- सुना है कि बारामती में पटाखे फोड़े जा रहे हैं
वहीं, भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि मैंने सुना है कि बारामती में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। दिवाली मनाई जा रही है। इसे दोस्त होने का नाटक करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा पीठ में छुरा घोंपना कहा जाता है। उद्धव साहब की भाषा में देशद्रोही।
रामकदम ने कहा कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी कांग्रेस या उसकी विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं करेगी। अगर उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, तो वह अपनी पार्टी को बंद कर देंगे, लेकिन हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ेंगे।
बता दें कि एनसीपी ने नवंबर 2019 में महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई, जबकि शिवसेना कई सीटों पर उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह करने वाले शिवसेना विधायकों की एक मुख्य शिकायत उनके और राकांपा विधायकों के साथ किए गए व्यवहार के बीच असमानता थी। शिंदे गुट के विधायकों ने यह भी दावा किया कि राकांपा विधायकों को उनके शिवसेना सहयोगियों के मुकाबले उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए10 गुना से अधिक फंड मिल रहा है।
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