मुंबई में राहुल आर्या द्वारा बच्चों को बंधक बनाए जाने और फिर उसके एनकाउंटर पर विवाद खड़ा हो गया है. मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है. बताया जा रहा है कि राहुल आर्या स्कूलों के काम का टेंडर लेता था. शिंदे सरकार में रहे शिक्षा मंत्री के साथ भी उसका वीडियो सामने आ चुका है. राहुल आर्या के परिजनों का आरोप है कि उसे विभाग की तरफ से पेमेंट नहीं दिए गए थे, जिसके कारण वह आंदोलन भी कर चुका था. उसे पैसे के भुगतान का आश्वासन भी मिला था लेकिन इसके बाद भी उसे भुगतान नहीं किया गया.
शिंदे सरकार के शिक्षण मंत्री दीपक केसरकर के साथ रोहित आर्या के वीडियो भी हैं. शिक्षा विभाग से रोहित ने काम लिया हुआ था और प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था. बाद में उसे उस प्रोजेक्ट से हटाया गया. रोहित का दावा था कि उसे उसके बकाया पैसे सरकार से मिले नहीं. रोहित ने अपने पैसे के लिए कई बार आंदोलन भी किए. दीपक केसरकर के घर के बाहर भूख हड़ताल भी की, लेकिन उसे पैसे नहीं मिले.
इसके बाद रोहित ने दबाव बनाने और मामले को हाईलाइट करने के लिए बच्चों को बंधक बनाने का प्लान बनाया. अपने वीडियो में भी रोहित कहता नर आ रहा है कि सुसाइड करने की बजाए उसने बच्चो को बंधक बनाने का प्लान बनाया और उसके कई सवाल हैं, जिनके जवाब चाहता है.
पूर्व शिक्षण मंत्री दीपक केसरकर ने अब कहा है कि रोहित को स्कूल प्रोजेक्ट का टेंडर मिला था. यदि कोई इशू था तो डिपार्टमेंट से बात करके मामला सुलझाना चाहिए था. इस तरह से बच्चों को बंधक बनाना गलत था. अब पुलिस के गोली से रोहित की मौत हो चुकी है लेकिन अब इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रही है. बता दें कि ठेकेदारों के बकाया पैसे को लेकर पहले से ही सरकार पर कई सवाल खड़े हुए हैं. कई बार ठेकेदार बकाया पैसों को लेकर आंदोलन कर चुके हैं. विपक्ष अब इस मुद्दे को लेकर सरकार पर आक्रमक है.
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परिजनों का आरोप है कि 12 दिन पहले पुणे में अनशन करने के दौरान रोहित आर्या की हालत खराब हुई थी. जिसके बाद उसे
अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इससे पहले 3 अगस्त को पूर्व मंत्री के आवास के बाहर भी भूख हड़ताल किया था. तब आश्वासन मिला था कि उसका भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी भुगतान नहीं किया गया था.










