सुप्रीम कोर्ट: शिवसेना के नाम और निशान पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल शिंदे गुट को राहत दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने बुधवार को चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई। अदालत ने उद्धव गुट की याचिका पर दोनों पक्षों से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दोनों को दो हफ्ते में अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखना है।
शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया
दरअसल, उद्धव गुट ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान सौंपे जाने के खिलाफ की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया है। फिलहाल आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। आगे कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है।
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SC refuses to stay Election Commission decision on Shiv Sena name and symbol
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— ANI Digital (@ani_digital) February 22, 2023
उद्धव गुट के वकील ने ऐसे दर्ज कराया विरोध
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह द्वारा लिया जा रहा है। ऐसे में कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है। इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे। यह गलत है। अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है। उसकी उपेक्षा की गई।
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अदालत में यह दिए शिंदे के वकील ने तर्क
कोर्ट में शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि हमने उद्धव की याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले हमारा पक्ष जरूर सुने। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए। इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने दिया था बड़ा फैसला
बता दें 26 फरवरी को महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव हैं। इससे पहले चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी। शिंदे गुट को चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ आवंटित किया था।
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