पुणे के रहने वाले एक शख्स ने जोमैटो से खाना ऑर्डर किया, लेकिन उसमें कुछ कमी रह गई। जब उसने इसकी शिकायत रेस्टोरेंट से की, तो उन्होंने डिलीवरी बॉय के जरिए छूटा हुआ सामान दोबारा भेजने की बात कही। हालांकि दिक्कत यह थी कि डिलीवरी बॉय का काम पूरा हो चुका था, तो अब सवाल था कि वह छूटा हुआ ऑर्डर लेकर कौन आएगा? जब डिलीवरी बॉय को इसकी जानकारी मिली, तो उसका जवाब हैरान करने वाला था।
ग्राहक ने बताई जोमैटो डिलीवरी एजेंट की कहानी
श्रीपाल गांधी नाम के व्यक्ति ने जोमैटो पर सबवे से पनीर टिक्का सैंडविच, बिंगो चिप्स और ओट किशमिश कुकीज का ऑर्डर दिया था, लेकिन डिलीवरी सिर्फ सैंडविच की ही हुई। सोशल मीडिया पर लिखी गई एक पोस्ट में श्रीपाल गांधी ने बताया, “मैंने डिलीवरी करने वाले से कहा, ‘चिप्स और कुकीज गायब हैं।’ वह हकलाने लगा और कोई जवाब नहीं दे पा रहा था। कुछ देर बाद उसने कहा, ‘आप रेस्टोरेंट में कॉल कर लीजिए।'”
जब सबवे रेस्टोरेंट में कॉल किया गया, तो उन्होंने पुष्टि की कि बाकी का सामान गलती से पैक नहीं हुआ। यह रेस्टोरेंट की गलती थी। इसके बाद रेस्टोरेंट ने डिलीवरी एजेंट को वापस आकर बचा हुआ सामान ग्राहक तक पहुंचाने को कहा और इसके बदले उसे ₹20 देने की बात भी की। लेकिन डिलीवरी एजेंट ने एक बार भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। भले ही वह रेस्टोरेंट के लिए नहीं, बल्कि जोमैटो के लिए काम करता था, फिर भी वह रेस्टोरेंट की गलती सुधारने के लिए तुरंत तैयार हो गया।
‘मैं चाहता हूं कि ग्राहक खुश रहें’
डिलीवरी एजेंट ने कहा, “सर, यह मेरी जिम्मेदारी है। मैं चाहता हूं कि ग्राहक खुश रहें।” इसके बाद वह रेस्टोरेंट वापस गया, सामान लिया और मुस्कुराते हुए लौट आया। रेस्टोरेंट की तरफ से ऑफर किए गए ₹20 लेने से भी उसने मना कर दिया।
उसने श्रीपाल गांधी से कहा, “भगवान ने मुझे बहुत कुछ दिया है। किसी और की गलती के लिए मैं यह पैसा क्यों लूं?”
फिर सामने आई डिलीवरी एजेंट की कहानी
श्रीपाल गांधी द्वारा पूछे जाने पर एजेंट ने बताया कि वह कभी शापूरजी पल्लोनजी में कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर के तौर पर काम करता था, जहां उसे ₹1.25 लाख प्रतिमाह वेतन मिलता था। एक कार दुर्घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी, उसके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया और उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा। एजेंट ने बताया कि इस हादसे के बाद उसे नौकरी के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा और वह दर-दर भटकता रहा। फिर जोमैटो ने उसे दूसरा मौका दिया।
एजेंट ने कहा कि जोमैटो ने मेरे परिवार को जिंदा रखने में मदद की। मैं भले ही अब विकलांग हूं, लेकिन मुझे काम करने का अवसर मिला। इसलिए मैं कभी जोमैटो का नाम बदनाम नहीं होने दूंगा।” उसने आगे बताया कि उसकी बेटी अब BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की पढ़ाई कर रही है।
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श्रीपाल गांधी ने लिखा कि यह डिलीवरी एजेंट कभी किसी और को दोष नहीं देता और न ही अपनी हालत की शिकायत करता है। “वह मुस्कुराया और बोला, ‘भगवान मेरे साथ हैं, तो मुझे चिंता क्यों करनी चाहिए?'” अपनी पोस्ट में श्रीपाल गांधी ने जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल को टैग करते हुए लिखा, “विकलांग लोगों को उचित अवसर देने के लिए कंपनी को धन्यवाद।”